अंधविश्वास पर प्रहार करती पुस्तक ‘अंधविश्वास : रोग और इलाज’

अंधविश्वास पर प्रहार करती पुस्तक ‘अंधविश्वास : रोग और इलाज’

टिकेश कुमार

अशोक भाटिया की किताब ‘अंधविश्वास : रोग और इलाज’ अंधविश्वास पर जबरदस्त प्रहार करती है। यह किताब पाठकों को अंधविश्वास की अंधेरी रात से एक नई सुबह की ओर ले जाती है। इसमें ओझा-तांत्रिक किस प्रकार कथित चमत्कारों की मदद से लोगों को ठगते हैं, उसका पर्दाफाश भी किया गया है। अंधविश्वास का जाल कैसे और किन कारणों से फैलता है, इसको बहुत ही सरल भाषा में बताया गया है। शुभ-अशुभ की बीमारी किस प्रकार लोगों के मन में घर बना लेता है और स्वार्थी लोग अपना धंधा चलाने के लिए अशुभ का डर कैसे दिखते हैं यह बेहतर ढंग से बताया गया है।

लेखक कहते हैं- अनपढ़ों की अपेक्षा पढ़े-लिखे लोग ‘शुभ-अशुभ’ नामक रोग से ज्यादा बीमार हैं। लेखक ने इस बीमारी का इलाज भी पुस्तक में बताया है। शुभ मुहूर्त देखने के कारण व्यक्ति को किस प्रकार की हानि का सामना करना पड़ता है, शुभ-अशुभ व मुहर्त के नाम पर पंडित अपना पेट कैसे भरते हैं, लोग उनकी बातों में आसानी से कैसे फंस जाते हैं? अशुभ का डर और उसे शुभ में बदलने के उपाय क्यों किया जाता है? बाबागीरी का सच क्या है, लोग बाबाओं के पास क्यों जाते हैं। चूर्ण-भभूत को तांत्रिक बाबा इतनी आसानी से कैसे बेच लेता है, चूर्ण का गोरखधंधा हमारे देश में कैसे चल पड़ता है। स्वार्थी तत्वों ने सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण को राहु-केतु नामक काल्पनिक राक्षस से जोड़कर समाज में अंधविश्वास कैसे फैलाया है? ये तमाम बातें लेखक ने अपनी लेखनी में स्पष्ट की है।

किताब में कहा गया है कि ज्योतिषी भविष्य बताने का दावा करता है, लेकिन कोरोना जैसा रोग फैलेगा उसे कभी नहीं बताया। इससे हम कैसे कहें कि ज्योतिष ठीक बताता है, ग्रहों और उनकी दशाएं मनुष्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती हैं। इस पर भी लेखक ने सवाल उठाए हैं और ज्योतिष को सपने बेचने की कला कहा है। फलित ज्योतिष विवाह के लिए लड़के-लड़की के 36 गुणों का मिलान किया जाता है। इसके बावजूद कई घरों में तलाक होते हैं, महिला को प्रताड़ित किया जाता या पति-पत्नी में किसी एक की मृत्यु हो जाती है, कुंडली मिलाने के बाद भी ऐसा क्यों होता है? ज्योतिष लगन-मुहर्त निकालने का धंधा है।

मानसिक बीमारी का इलाज कराने ओझा-तांत्रिक के पास जाने का कारण अवैज्ञानिक सोच का नतीजा बताया गया है, जो मेरे खयाल से ठीक है। भूत-प्रेत को लेकर कैसा अंधविश्वास फैला है, आज जो धर्म है उसे सम्प्रदाय बताते हुए धर्म में अंधविश्वास, पाखण्ड व्याप्त है, जो समाज के लिए हानिकारक है, इसे हम सब जानते भी हैं। किताब में असल धर्म मानवता है, जो सभी पर लागू हो, ऐसा बताया गया है। हमारे समाज में अलग-अलग सम्प्रदाय है, जिसे हम धर्म मानते हैं। सभी को इंसानियत, मानवता को मानना चाहिए, जिससे समाज के सभी लोग एकजुट होकर उन्नति कर सकें।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है और हमें क्यों जरूरी है? विज्ञान ने हमें क्या-क्या दिया है? विज्ञान हमेशा कुछ न कुछ खोजता रहता है और हमारे सामने उस सत्य को लाता है, जिससे अंधविश्वास का पर्दा उठ जाता है।

लेखक ने 68 पेज की छोटी किताब में अपने लेख के साथ मुंशी प्रेमचंद के अंधविश्वास, डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर, डॉ. अब्राहम टी. कोवूर, हरिशंकर परसाई जैसे प्रगतिशील लेखकों के लेखों का संग्रह किया है, जिसमें अंधविश्वास पर कड़े प्रहार किए गए हैं। इसके अलावा अंधविश्वास विरोधी लघुकथाएं भी संग्रहीत है, जिसमें पाखंड और पाखण्डियों का पर्दा उठता है।

इस किताब में कम शब्दों में अंधविश्वास पर बहुत बड़ा प्रहार किया गया है, जो बहुत ही सराहनीय है, लेकिन मेरा मानना है इस प्रकार की किताब को बड़ा रूप देने की जरूरत है। वर्तमान में समाज में जिस प्रकार के अंधविश्वास, पाखण्ड को बढ़ावा देने वाली अनेक साहित्य उपलब्ध है या कहूं पाखण्डियों की बाढ़ सी आ गई है। टेलीविजन, अखबार, आस-पास सभी जगह पर अंधविश्वास पैर फैलाए बैठे हैं, ऐसी कठिन परिस्थिति में हमें “अंधविश्वास : रोग और इलाज” जैसी अनेक किताब, फ़िल्म और साहित्य की जरूरत है। भाटिया जी को इस किताब में बेहतरीन लेख लिखने और लेख संकलित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई।

लेखक- टिकेश कुमार एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (ASO) के अध्यक्ष हैं।

समीक्षक- टिकेश कुमार                                   लेखक- अशोक भाटिया

 

पुस्तक-अंधविश्वास रोग और इलाज

लेखक-अशोक भाटिया

कीमत-85/- पेपर-बैक

संस्करण-संशोधित/2024

प्रकाशक- साहित्य उपक्रम            

467/9 फरीदाबाद (हरियाणा)