कविता
विद्रोह
ओमप्रकाश तिवारी
तालाब में तैरना
कभी न सीख पाते
यदि माता- पिता की बात मान लेता
माना कि
डूबने के खतरा था
लेकिन
खतरे और भय के बिना
मंजिल भी तो नहीं मिलती
उस पार क्या है
तालाब कितना गहरा है
इसे जानने के लिए
तालाब में उतरना ही होगा
मगर इसकी इजाजत
मां-बाप नहीं देंगे
उनका डर
उनके प्यार में बसता है
हमारी जिज्ञासा
विद्रोह से फलती है
हम तो कूद गए
पहले तैरना सीखा
फिर उस पार गए
वापसी में
तालाब की
गहराई भी माप ली।