एस.पी. सिंह का एक गीत
उठो कि वक़्त अब है, जुनून बोलने दो
ज़मीं को हिला दो, गगन को डोलने दो
कुर्सियों को कह दो कि अब हिसाब होगा
क़लम को तलवार, सदा को गोलने दो
जो लूटते रहे हैं पसीना गाँव वालों का
उन्हें भी अब डर का पसीना खोलने दो
लहू से लिख दो तुम नया संविधान अपना
क़दम से क़दम मिल के बिगुल को बोलने दो
बेबाक कह रहा है कि ये सदी बदलनी है
हर एक जंजीर को अभी ही तोड़ने दो