मुशायरा स्थगित होने के बाद जावेद अख्तर ने साझा किया उर्दू शेर
मुंबई। गीतकार एवं लेखक जावेद अख्तर ने एक उर्दू शेर साझा किया है, जिसमें आस्तिक, नास्तिक, संत और मूर्ति-पूजकों की दृष्टि में अपनी पहचान को लेकर बात की गई है।
यह पोस्ट उस विवाद के कुछ दिनों बाद आई है, जब पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने कोलकाता में होने वाले एक मुशायरे को स्थगित कर दिया था, जिसमें अख्तर को आमंत्रित किया गया था। कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताते हुए कहा था कि अख्तर की कुछ टिप्पणियों ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
स्वयं को नास्तिक मानने वाले जावेद अख्तर देशभर में सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेने के लिए जाने जाते हैं। वे कट्टरवाद की आलोचना करने में कभी संकोच नहीं करते, चाहे वह किसी भी धर्म से जुड़ा हो।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उर्दू में साझा किये गये एक अज्ञात कवि द्वारा रचित शेर से ऐसा प्रतीत होता है कि वह उस “विषय” की ओर इंगित करना चाहते हैं, जिसे लोग गलत समझ रहे हैं।
उनके पोस्ट के अंत में लिखी पंक्तियों का अर्थ है, ‘‘मैं वह विषय हूं जिसे समझना कठिन है, पर यदि कोई समझने की नीयत रखे, तो मैं सहज हूं।’’
उर्दू अकादमी की सचिव नुज़हत ज़ैनब ने कहा कि एक सितंबर से शुरू होने वाला चार-दिवसीय मुशायरा कुछ अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया गया है और नयी तिथियां बाद में घोषित की जाएंगी।
उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि जावेद अख्तर भविष्य में होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित होंगे या नहीं।
इस बीच, कई वामपंथी छात्र संगठनों ने अख्तर को दिल्ली में एक वैकल्पिक आयोजन के लिए आमंत्रित किया है।