मंजुल भारद्वाज की कविता – पेड़ चुप नहीं रहते

पेड़ चुप नहीं रहते !

– मंजुल भारद्वाज

पेड़ चुप नहीं रहते
पेड़ बोलते हैं!

जब धूप जलाती है,
प्रदूषण फैलता है
बाढ़ और सूखा
कोहराम मचाते हैं
तब इंसानी क्रंदन में
पेड़ों की आवाज़ सुनाई देती है!

जब पेड़ों की जड़ों में
महफूज़ मिट्टी छिटकती है
और पहाड़ दरकता है
ज़िंदगी ख़त्म होती है
तब मातम में
पेड़ों की आवाज़ सुनाई पड़ती है!

जब लोभ लालच में
पेड़ स्वाह होते हैं
और एक एक सांस के लिए
इंसान तड़पता है
हर घर मसान हो जाता है
मसान की खामोशी
पेड़ की आवाज़ होती है!

पेड़ चुप नहीं रहते
पेड़ बोलते हैं!