अमेरिकी उपराष्ट्रपति वैस ने फाक्स न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में जताई आशा
न्यूयॉर्क। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘सख्त वार्ताकार’ बताने के साथ ही उम्मीद जताई है कि भारत जवाबी शुल्क से बचने के लिए व्यापार समझौता करने वाले शुरुआती देशों में शामिल होगा।
इसके साथ ही वेंस ने भारत पर लंबे समय तक व्यापार में अमेरिका का फायदा उठाने का आरोप भी लगाया।
वेंस ने बृहस्पतिवार को टीवी चैनल ‘फॉक्स न्यूज’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि सीमा शुल्क के मुद्दे पर भारत के साथ ‘अच्छी बातचीत’ चल रही है।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी एक सख्त वार्ताकार हैं, लेकिन हम उस रिश्ते को फिर से संतुलित करने जा रहे हैं। यही कारण है कि राष्ट्रपति इस समय यह सब कर रहे हैं।”
वेंस ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने वाले शुरुआती देशों में से एक होगा। हमने जापान, कोरिया के साथ बात की है, हमने यूरोप में कुछ लोगों के साथ बातचीत की है और भारत में भी हमारी अच्छी बातचीत चल रही है।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन सहित कई देशों पर दो अप्रैल को व्यापक जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, उन्होंने नौ अप्रैल को चीन और हांगकांग को छोड़कर इन शुल्कों को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया था।
वेंस ने भारत के संदर्भ में कहा, “हमारे किसान बेहतरीन उत्पाद तैयार कर रहे हैं लेकिन भारतीय बाजार अमेरिकी किसानों के लिए प्रभावी रूप से बंद है। यह अमेरिकी किसानों एवं उपभोक्ताओं को हमारे द्वारा खाए जाने वाले अनाज को उगाने के लिए विदेशी प्रतिस्पर्धियों पर अधिक निर्भर बनाता है।”
वेंस ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत के साथ समझौता अमेरिकी प्रौद्योगिकी के लिए भारत के दरवाजे खोल देगा। यह भारत को अमेरिकी किसानों के लिए खोल देगा। यह अधिक अच्छे अमेरिकी रोजगार पैदा करेगा। और यह उस तरह का व्यापार समझौता है जैसा राष्ट्रपति ट्रंप पसंद करते हैं।”
उन्होंने ट्रंप का बचाव करते हुए कहा कि वह व्यापार विरोधी न होकर अनुचित व्यापार के विरोधी हैं। उन्होंने कहा, “ट्रंप उस तरह का व्यापार नहीं चाहते हैं जहां विदेशी प्रतिस्पर्धी हमारा फायदा उठाते हैं। ईमानदारी से कहें तो, भारत ने बहुत लंबे समय तक हमारा फायदा उठाया है।”
भारत और अमेरिका इस समय द्विपक्षीय व्यापार समझौते को पूरा करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। इस समझौते से सीमा शुल्क और बाजार पहुंच जैसे तमाम मुद्दों पर तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।