पेंशन नीति में बदलाव के लिए नेशनल मिशन फार ओल्ड पेंशन स्कीम (भारत) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजा पत्र

  • कहा- (एनपीएस) से आच्छादित सरकारी कर्मचारियों की ओल्ड एज सामाजिक आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करें

नई दिल्ली। नेशनल मिशन फार ओल्ड पेंशन स्कीम (भारत) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर उनको नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से आच्छादित सरकारी कर्मचारियों की ओल्ड एज सामाजिक आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो मांगों पर विचार करने का आग्रह किया है।

अपने पत्र में नेशनल मिशन फार ओल्ड पेंशन स्कीम (भारत) ने कहा है कि वित्त मंत्री जी आपको हम बताना चाहते हैं कि देश भर से राज्य और केंद्र सरकार के साथ-साथ स्वायत्त विभागों के लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। क्योंक वह 1 जनवरी 2004 से केंद्र और उसके बाद अलग-अलग समय पर राज्यों में लागू हुई न्यू पेंशन स्कीम (अब नेशनल पेंशन सिस्टम) कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर सामाजिक आर्थिक सुरक्षा देने में सफल नहीं रही है। क्योंकि इसके अंतर्गत, अब तक सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को नाम मात्र की पेंशन मिल पा पही है।

हालांकि भारत सरकार द्वारा कर्मचारी के हित में समय समय पर कुछ उल्लेखनीय बदलाव भी किए गए हैं, जैसे- 1 अप्रैल 2019 में सरकारी अंशदान को 10 से बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया। मार्च 30 2021 में सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की मृत्यु या डिसएबिलिटी के केस में ओल्ड पेंशन स्कीम के विकल्प के चयन का प्रावधान किया गया। 24 अगस्त 2024 को यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा की गई। हालांकि अभी तक इसका गजट जारी नहीं किया गया है।

पत्र में कहा गया है कि यूनिफाइड पेंशनस्कीम के माध्यम से सरकार ने 50 प्रतिशत पेंशन की महंगाई भत्ते (डीए) के साथ गारंटी दी गई है लेकिन इसके लिए मिनिमम सेवाकाल 25 वर्ष निर्धारित किया गया है। जिससे केंद्र और राज्यों के आरक्षित वर्ग (विशेष रूप से एससी/एसटी/ओबीसी/दिव्यांग) के अधिकांश कर्मचारी इस दायरे से बाहर हो गए हैं। क्योंकि उनके लिए सरकारी सेवाओं में आने की अधिकतम उम्र की सेवा 40 वर्ष तक आमतौर पर निर्धारित हैं।

यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा मंजीत सिंह पटेल द्वारा जारी पत्र में आगे कहा गया है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम में यह भी बताया गया है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बावजूदपेंशन केवल सुपर एन्यूएशन अर्थात 60, 62 या पेंशन वर्ष की उम्र से ही दी जाएगी। चूंकि बहुत से विभागों, जैसे विश्वविद्यालयों में शिक्षक सेवाओं आदि में रिटायरमेंट की उम्र 62 या 65 वर्ष भी है। ऐसी स्थिति में किसी भी कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बावजूद 10 से 15 साल तक पेंशन के लिए इंतजार करना पड़ेगा जबकि तार्किक रूप से यह बिल्कुल असंगत है। यहां तक कि यह भी निश्चित नहीं किया जा सकता है कि कोई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद कितने दिनों तक जीवित रहेगा या तब तक वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण बिना पेंशन कैसे करेगा।

पत्र में वित्त मंत्री से देशभर के 91 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों की सेवानिवृत्ति/अनिवार्य सेवानिवृत्ति /स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक आर्थिकसुरक्षा के लिए एनपीएस से आच्छादित सभी कर्मचारियों को डिपार्टमेंट आफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर, भारत सरकार द्वारा 30 मार्च 2021 को सेवाकाल में डेथ और डिसएबिलिटी के केस में जिन दो विकल्पों (फेमिली पेंशन/ पेंशन हेतु एनपीएस या ओपीएस आधार पर) में ले किसी एक का चयन करने की सुविधा दी गई है, उक्त विकल्पों में से किसी एक विकल्प के चयन करने की सुविधा सभी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति/अनिवार्य सेवानिवृत्ति /स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर भी दी जाए ताकि इस विकल्प का लाभ अधिक सेवा करने वाले कर्मचारियों को भी मिल सके।

इसके साथ ही नेशनल मिशन फार ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के पत्र में वित्त मंत्री से मांग की गई है कि 50 प्रतिशत पेंशन की गणना 25 वर्ष की सेवा के स्थान पर 20 वर्ष की सेवा के आधार पर की जाए ताकि आरक्षित वर्ग को भी न्याय मिल सके। इसके साथ ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए भी 20 वर्ष की सेवा को ही आधार तय किया जाए और पेंशन भी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद प्रारंभ की जाए।

यह पत्र संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा मंजीत सिंह पटेल के साथ राष्ट्रीय महासचिव सुधीर रूपजी, राष्ट्रीय एसोसिएट क्रांति सिंह और बसंत लाल गौतम तथा दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष विनोद यादव द्वारा जारी किया गया है।