यूपी में धूप छुट्टी पर

बात बेबात

यूपी में धूप छुट्टी पर

विजय शंकर पांडेय

यूपी में ठंड नहीं पड़ रही, बल्कि अपना पूरा परिवार लेकर स्थायी डेरा डाल दी है। कोहरा ऐसा कि लगता है सरकार ने “दृश्य छिपाओ योजना” लागू कर दी हो। 45 जिले घने कोहरे की चपेट में और 18 जिले तो इतने गंभीर कि वहां “कुछ दिखाई देना” अफवाह घोषित हो चुका है। विजिबिलिटी शून्य पर पहुंच गई, यानी आंखें_खुली_हैं_लेकिन_भरोसा_बंद।

लखनऊ में धूप को लेकर अफवाह उड़ती रही कि वह कहीं बाहर निकली है, लेकिन बाद में पता चला कि धूप ने भी ठंड से छुट्टी ले ली है। मेरठ सबसे ठंडा जिला रहा, वहां ठंड को देखकर ठंड भी बोली—“भाई, थोड़ा कम करो।” सड़कों पर ऐसा सन्नाटा कि लगा कोरोना लॉकडाउन फिर से लौट आया हो, बस बिना नोटिस के।

ओस की बूंदें बारिश का अभिनय कर रही थीं।

गोरखपुर-बलिया में सड़कें भीगी देख लोगों ने सोचा—“बारिश हुई क्या?” मौसम विभाग बोला—“नहीं, ये ठंड का पसीना है।” आगरा में कोहरे ने ताजमहल को ऐसा छिपाया मानो वह किसी रियलिटी शो से एलिमिनेट हो गया हो।
इस मौसम में यूपी के लोग नहीं चल रहे, बस ठंड से समझौता कर रहे हैं—एक हाथ में चाय, दूसरे में रजाई और मन में एक ही सवाल: “भैया, बसंत कब आएगा?”

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