न रोई, न चिल्लाई, न थाने गई—सीधे किताब लिख दी

न रोई, न चिल्लाई, न थाने गई—सीधे किताब लिख दी

विजय शंकर पाँडेय

जापान वैसे तो तकनीक, अनुशासन और शालीनता के लिए मशहूर है, मगर अब रिकॉर्ड-कीपिंग के लिए भी इतिहास रच चुका है। एक पत्नी ने अपने पति के 520 अफेयर गिन डाले। गिनना नहीं, दस्तावेज़ीकरण किया। न रोई, न चिल्लाई, न थाने गई—सीधे किताब लिख दी। वो भी सचित्र। यानी सबूत के साथ साहित्य।

कहते हैं जापान में हर चीज़ परफेक्शन से होती है। पति बेवफ़ा था, लेकिन पत्नी उससे भी ज़्यादा प्रोफेशनल निकली। हर अफेयर को सीरियल नंबर मिला, डेट, टाइम, लोकेशन और शायद रिव्यू सेक्शन भी। एक अफेयर—“औसत”, दूसरा—“ओवररेटेड”, तीसरा—“रीपीट वैल्यू ज़ीरो”।

प्रेमहीन शादी में प्यार ढूंढने के बजाय उसने पब्लिशर ढूंढ लिया। पति जहां रिश्ते बदल रहा था, पत्नी वहीं जॉनर बदल रही थी—डायरी से ग्राफिक नॉवेल तक। पति सोचता रहा, “आज कौन सी?”, पत्नी सोचती रही, “अगला चैप्टर कौन सा?”

अब पति मशहूर है—बेवफ़ाई के हीरो के रूप में। पत्नी उससे भी आगे—पीड़िता नहीं, ऑथर बन गई। दुनिया पूछ रही है, “दर्द कितना था?” जवाब साफ है—इतना कि ISBN नंबर मिल गया।

कहते हैं रिश्ते निभाने होते हैं। जापान ने साबित कर दिया—अगर न निभें, तो कम से कम अच्छी तरह दर्ज तो किए ही जा सकते हैं।

लेखक – विजय शंकर पाँडेय

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