बात बेबात
बिहार में नूरा-कुश्ती का खेल शुरू
विजय शंकर पांडेय
बिहार की राजनीति में “18 विधायक मेरे संपर्क में हैं” अब कोई बयान नहीं, बल्कि मौसम विभाग की चेतावनी बन चुका है। जैसे ही यह वाक्य बोला गया, पटना के राजनीतिक गलियारों में हल्की बारिश नहीं, अफवाहों की मूसलाधार बौछार शुरू हो गई। हर चाय की दुकान पर नया एक्सेल शीट खुल गया—किसके पास कितने विधायक, कौन किसके “संपर्क” में है और संपर्क व्हाट्सऐप का है या आत्मा का।
नामचीन जदयू नेता के बयान के बाद गणितज्ञ परेशान हैं। विधानसभा में जोड़-घटाव छोड़िए, यहां तो संपर्क × संभावना ÷ लालच का फार्मूला चल रहा है। बीजेपी को बाहर रखकर सरकार? यह सवाल ऐसा है जैसे बिहार में बिना बारिश के बाढ़ की बात करना—नामुमकिन नहीं, पर चमत्कार जरूर है।
इधर जदयू कह रही है, “हम तो बस सामाजिक संपर्क में हैं,” उधर राजद मुस्कुरा रही है—“संपर्क में हैं तो आएंगे ही।” कांग्रेस सोच में डूबी है कि संपर्क में हैं या भूल गए हैं। बीजेपी खामोश है, क्योंकि अनुभव कहता है कि बिहार में सरकारें बयान से नहीं, भरोसे से गिरती-बनती हैं।
अंत में जनता पूछ रही है—अगर 18 विधायक संपर्क में हैं, तो बाकी विधायक किस नेटवर्क पर हैं? 2G, 4G या सीधा “पावर बैंक” से जुड़े हुए? बिहार की राजनीति में गणित नहीं, जादू चलता है—आज 18, कल 108!
