बात बेबात
डॉक्टर्स डे सेल
विजय शंकर पांडेय
ललितपुर मेडिकल कॉलेज में लगता है “Doctor’s Day Sale” चल रही थी—एक डिग्री खरीदो, जीजा-भाई को फ्री में डॉक्टर बनाओ! इंजीनियर साहब ने सोचा, “कार्डियोलॉजी क्या होती है? दिल ही तो है… पंप जैसा ही तो काम करता है। इंजीनियर हूँ, पंप तो रोज ठीक करता हूँ, ये भी कर लूंगा!” और बस जीजा की डिग्री को ऐसे इस्तेमाल किया जैसे लोग शादी में कुरता उधार लेते हैं।
तीन साल तक जिला अस्पताल में मरीज सोचते रहे—“डॉक्टर साहब का इलाज थोड़ा अजीब है, लेकिन चलो दिल तो बड़ा रखते हैं।” और सच में! उनका दिल इतना बड़ा था कि डॉक्टर की भर्ती को भी दिल से ले लिया। CMO को शिकायत मिली तो मामले की धड़कनें तेज हो गईं—हार्ट रेट 140 bpm, सीधा जांच शुरू!
जब पकड़े गए तो इंजीनियर साहब ने बिना स्टेथोस्कोप लगाए ही सही फैसला कर लिया—“इस्तीफा दिल की सेहत के लिए जरूरी है।” अब प्रशासन वेतन वापस लेने की तैयारी में है, यानी तीन साल का बिल—इंजीनियरिंग वाला नहीं, मेडिकल वाला!
अस्पताल के मरीज अब सोच रहे हैं—“जिस देश में इंजीनियर डॉक्टर बन सकते हैं, वहाँ शायद अगली बार प्लंबर न्यूरोसर्जन निकले।”
अगला कदम शायद यह, मेडिकल कॉलेज गेट पर बोर्ड लगे—
“अपनी-अपनी डिग्री साथ रखें, वरना जीजा की भी चेक होगी।”
