लेखकों ने संविधान के बुनियादी सिद्धांतों की हिफाजत को सबसे जरूरी बताया
जलेस की मेरठ इकाई ने आयोजित की संविधान दिवस पर संगोष्ठी
मेरठ। जनवादी लेखक संघ मेरठ इकाई द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस सभागार कचहरी प्रांगण में रविवार को संविधान दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में संगठन के जिला मंत्री और नेशनल काउंसिल के सदस्य मुनेश त्यागी ने कहा कि संविधान को बदले बिना ही संविधान के बुनियादी अधिकारों और सिद्धांतों का खात्मा कर दिया गया है। संविधान में दिए गए बुनियादी अधिकारों जैसे बोलने लिखने की आजादी, सम्मान से जीने के अधिकार, सबको शिक्षा, रोजगार पर वर्तमान सत्ता द्वारा जान पूछ कर, मनवाने हमले किए जा रहे हैं।
मुनेश त्यागी ने कहा कि किसानों मजदूरों की समस्याओं को दूर नहीं किया जा रहा है। सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय सरकार के एजेंडे से गायब हो गया है। देश में इस वक्त 5 करोड़ 42 लाख से भी ज्यादा मुकदमे अदालतों में लंबित हैं। आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती जा रही है, मजदूरों को जीने लायक वेतन नहीं दिया जा रहा है, 85% मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। भारत की साझी संस्कृति पर लगातार मनमाने हमले हो रहे हैं, धर्म के नाम पर अंधविश्वास, अविवेकशीलता और धर्मांधता फैलाई जा रही है, स्वतंत्र मीडिया का खात्मा कर दिया गया है तथा लोगों को लिखने की आजादी से वंचित किया जा रहा है और डराया जा रहा है और मीडिया से प्रगतिशील, जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी विचारों के लेखकों को बाहर कर दिया गया है।
उन्होंने कहा संविधान की उद्देशिका में दिए गए सिद्धांतों जैसे जनता की सरकार, संप्रभुता, जनतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, आपसी भाईचारे और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर खुलकर हमले किए जा रहे है। स्वतंत्र न्यायपालिका सिर्फ नाम भर की रह गई है। स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसियों को वर्तमान सरकार द्वारा अपना गुलाम बना लिया गया है, जनकल्याण की योजनाओं का खात्मा कर दिया गया है, आरक्षण सिर्फ नाम भर का रह गया है, ज्ञान विज्ञान की संस्कृति पर लगातार हमले किए जा रहे हैं और जनता में अंधविश्वास अवैज्ञानिकता और अविवेकशीलता फैलाई जा रही है और चुनाव आयोग तो सरकार का सबसे बड़ा मोहरा बनकर रह गया है। उन्होंने तमाम लेखकों का आह्वान किया कि वे डरे नहीं, जनता के बुनियादी अधिकारों और संविधान को बचाने की मुहीम में सबसे आगे रहें।
इकाई के जिला उपाध्यक्ष डॉ जी आर मलिक ने कहा कि संविधान पर आजादी की लड़ाई के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रभाव था। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री और विधायक, संविधान के अनुसार धार्मिक स्थलों का उद्घाटन नहीं कर सकते, मगर धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर सबसे बड़ा हमला किया जा रहा है। संविधान पर लगातार हमले जारी हैं संवैधानिक मशीनरी को खत्म कर दिया गया है। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता लगभग खत्म कर दी गई है, राज्यपालों का दुरुपयोग हो रहा है। समाज में डर का माहौल लगातार बढ़ता जा रहा है, अब यहां जनतांत्रिक आजादी नहीं रह गई है। अवैज्ञानिक तौर तौर तरीके अपनाए जा रहे हैं और इतिहास को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है। आज इस संविधान को बचाने की जरूरत है।
डॉक्टर किरण सिंह ने कहा कि संविधान के जनतांत्रिक मूल्यों को लगातार नकारा जा रहा है। सर्व कल्याण के लिए संविधान बनाया गया था मगर अब संविधान सबके कल्याण की बात नहीं कर रहा है। संविधान पर लगातार हमले हो रहे हैं। आज हमें जागरुक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज यह हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि हम सबको संविधान को मानने के लिए प्रेरित प्रेरित करें और जनता के साथ को बताएं कि हमारा संविधान अधिकारों के साथ, बुनियादी कर्तव्यों की बात भी करता है। हमें संविधान के बुनियादी मूल्यों और सिद्धांतों को जनता के बीच ले जाने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामगोपाल भारतीय ने कहा कि हम संविधान के बुनियादी और सही तत्वों को समझें और लोगों को समझाएं, साहित्य की विरासत को बचाएं और सबके विकास और कल्याण के लिए बनाए गए संविधान की रक्षा करें। आज शासक वर्ग द्वारा संविधान की परवाह नहीं की जा रही है। सांप्रदायिक ताकतें संविधान का लगातार विरोध कर रही हैं। लेखन के माध्यम से लोगों को सही दिशा में ले जाएं और संविधान पर हो रहे हमलों का जोरदार विरोध करें और इंसानियत की रक्षा करें।
इसके अलावा जितेंद्र पांचाल, डा ताहिर हंसी, डॉ सत्येंद्र त्यागी, मंगल सिंह मंगल, धर्मपाल मित्रा और सुरेंद्र खेड़ा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
