महिलाओं के विरुद्ध मामलों की जल्द सुनवाई के लिए हरियाणा में स्थापित किए जाएंगे 6 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट

  • फास्ट ट्रैक कोर्ट में बलात्कार, छेड़छाड़ तथा मानसिक उत्पीड़न संबंधित मामलों की होगी सुनवाई

चंडीगढ़। हरियाणा के विभिन्न न्यायालयो में महिलाओ के विरूद्ध अपराध जैसे बलात्कार, छेड़छाड़ तथा मानसिक उत्पीड़न संबंधित लंबित मामलों की सुनवाई के लिए 6 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक जिला जहां उपरोक्त वर्णित श्रेणियों के 50 से अधिक मामले कोर्ट में लंबित है वहां पर फास्टट्रैक कोर्ट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।

इस बारे में जानकारी पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने दी। उन्होंने बताया कि महिलाओं के विरुद्ध आपराधिक घटनाओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है ताकि महिलाओं को न्याय को जल्द न्याय मिल सके। फास्ट ट्रैक कोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश के फरीदाबाद में दो तथा गुरुग्राम, पानीपत , सोनीपत तथा नूह जिला में 1-1 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित की जाएगी।

मधुबन में महिला जांच अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा रिफ्रेशर कोर्स

कपूर ने बताया कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस अकादमी में महिला जांच अधिकारियों के लिए नियमित तौर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा रिफ्रेशर कोर्सेज कराए जा रहे हैं ताकि वे न केवल कानूनी प्रावधानों में हुए नए संशोधनों के बारे में अपडेटेड रहे बल्कि मामले की प्रभावी तथा समयबद्ध तरीके से जांच कर सके।

– सीन ऑफ क्राइम टीम को अत्याधुनिक इन्वेस्टिगेशन किट

इतना ही नहीं , सीन ऑफ क्राइम टीम द्वारा घटनास्थल से वैज्ञानिक तरीके से आवश्यक साक्ष्य जुटाने के लिए सभी जिलों में जांच अधिकारियों को इन्वेस्टिगेशन किट उपलब्ध करवाई गई है। यह इन्वेस्टिगेशन किट वैज्ञानिक तरीके से काफी उच्चतर है जिससे जांच प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष बनाया जा सकता है।

प्रत्येक जिले में डीएसपी स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया गया नोडल ऑफिसर

महिला सुरक्षा की डीआईजी नाजनीन भसीन ने बताया कि महिला विरुद्ध अपराधों की मॉनिटरिंग को लेकर प्रदेश के प्रत्येक जिले में डीएसपी स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, महिला पुलिस थानों में ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए महिला पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की गई है ताकि महिलाएं बिना किसी झिझक अथवा संकोच के सुरक्षित वातावरण में अपनी समस्याओं के बारे में बता सके।