बाबा साहेब के दिखाये मार्ग पर चलना ही सच्चा देशप्रेम हैः धर्मपाल पांचाल
जलेस जींद ने डॉ अम्बेडकर के निर्वाण दिवस पर विचार गोष्ठी कर दी श्रद्धांजलि
जींद। जनवादी लेखक संघ जींद इकाई की ओर से भारतरत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के निर्वाण दिवस (छह दिसंबर) के उपलक्ष्य में रविवार को स्थानीय अक्षर भवन शिव कालोनी जींद में पूर्व प्राचार्य धर्मपाल पांचाल की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में सोहनदास, राजेश भेंट, चमन लाल, आजाद पांचाल और मंगतराम शास्त्री ने भाग लिया।
गोष्ठी का संचालन मंगतराम शास्त्री ने किया। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर अपने समय के सबसे अधिक पढ़े-लिखे विद्वान थे, जिन्होंने सामाजिक न्याय के एजेण्डा को राजनीति के केंद्र में रख दिया था। बाबा साहेब के विचारों पर चिंतन मनन करना और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सोहनदास ने कहा कि भारत एवं भारतीयता को बनाए रखना और लोकतंत्र एवं संविधान की सुरक्षा करना आज का मूलभूत प्रश्न है जिसको डॉ भीमराव अम्बेडकर एवं भगतसिंह के साझे वैचारिक धरातल का निर्माण करके ही हल किया जा सकता है।
आजाद पांचाल ने कहा कि इन महापुरुषों के विचारों को स्कूलों तक ले जाने की जरूरत है।
गोष्ठी में चमनलाल ने गीत के माध्यम से बाबा साहेब को इस तरह से याद किया:-
“शिक्षा से समाज बदल दो यही है अपना नारा।
जात-पात के बंधन से मिलेगा फिर छुटकारा।।”
राजेश भेंट ने भी रागनी पढ़ते हुए कुछ यूं कहा:-
“समाज तेरे म्हं बाबा साहेब पड़या घणा सा फर्क नहीं।
जो हमनै करणा चहिए था करया सही म्हं वर्क नहीं।”
गोष्ठी के अध्यक्ष धर्मपाल पांचाल ने कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर का नारा था -“शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो”। आज इस नारे को चरितार्थ करते हुए आगे बढ़ते रहना ही सच्चा देशप्रेम है।
