हनोई से हॉलांग बे का शानदार सफर

यात्रा वृत्तांत

हनोई से हॉलांग बे का शानदार सफर

संजय श्रीवास्तव

“प्लीज कम आउट साइड, बस इज वेटिंग ऑफ यू” – ये कॉल सुबह तब आई जब 8 बजने में पांच मिनट बाकी थे. मैं उम्मीद कर रहा था कि ये कॉल 8.15 बजे आएगी. मैने थोड़ी झुंझलाहट से जवाब दिया, “आई एम नाट रेडी, इट विल टेक एटलिस्ट 5 मोर मिनट्स”. मेरी झुंझलाहट को अनदेखा करते हुए जवाब कुछ नाराजगी के साथ आय़ा, “यू कांट इन पोजिशन टू वेट मोर, अनलेस बस विल लीव यू”. ये महाशय थे मिन्ह विली, जो हॉलांग बे के आनंददायक टूर में हमारे अंग्रेजी बोलने वाले गाइड थे. मैने फोन पटका. मन ही मन कहा पांच मिनट तो मुझको लगेंगे ही, देखते हैं तुम कहां जाओगे.

खैर, हम पांच मिनट में होटल के नीचे उतरे, नीचे मोटर साइकिल पर विली महाशय हम लोगों का इंतजार कर रहे थे. वो वहां से हमें 100 मीटर दूर उस प्वाइंट पर ले गए, जहां टूरिस्ट बस आऩे वाली थी. तब तक वहां कुछ और सैलानी आ गए. मुश्किल से पांच मिनट चमचमाती हुई काली बस भी नमूदार हो गई. इसी तरह दूसरी डीलक्स बसें दूसरे सैलानियों को भर रही थीं. मुस्कुराता हुआ ड्राइवर. बढ़िया सीटें. बस के अंदर फ्री वाई फाई. बस चल पड़ी. रास्ते भर विली इसी तरह मोटरसाइकल से घूम-घूम कर लोगों को लाता रहा. आखिरी प्वाइंट्स के बाद वह बस मुस्कुराते हुए घुसा. माइक उठाया और हम लोगों से मुखातिब हुआ.

हनोई से हॉलांग बे 165 किलोमीटर दूर है. शानदार एक्सप्रेस वे. अगर किसी को वियतनाम के तेज विकास और तेजी से हुई आर्थिक तरक्की को देखना हो तो हनोई से हॉलांग बे की ओर जाने वाला रास्ता सबकुछ शो केज करता चलता है. बीच में तीन टोल प्लाजा. दो मिड-वे रेस्टोरेंट्स की सुविधाएं. हनोई से बाहर निकलते हुए तमाम बहुमंजिली इमारतें नजर आने लगीं. उम्दा तरीके से चलता हुआ ट्रैफिक. बाइक और साइकल सवारों के लिए अलग लेन. बस के शहर छोड़ने के साथ ही गांव शुरू हो गए. दूर दूर तक धान के खेत. मानो हरी कालीन. गांव तो गांव लग ही कहां रहे थे. पक्के घर, रंगबिंरगी मेहराबदार छतें, पक्की सड़कें. प्रचुर मात्रा में फलों के पेड़. साथ में गन्ने की भी फसल.

हनोई से हॉलांग बे का रास्ता वियतनाम के सबसे सुंदर रोड ट्रिप्स में एक माना जाता है. पूरे रास्ते में मुश्किल तीन घंटे लगते हैं. नया एक्सप्रेसवे रूट सबसे तेज़ और आरामदायक रास्ता है. विली बस में एक माइक लेकर खड़े हो जाते हैं. हनोई के बीतने से पहले एक लंबे पुराने लोहे के पुल से नीचे बहती रेड रिवर की ओर इशारा करके बताते हैं कि ये हमारे देश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है, हमें इसी ने जीवन दिया है. वैसे इस लंबे रास्ते में दो – तीन और बड़ी नदियां मिलती हैं. इन नदियों के किनारे वियतनाम ने अपने स्पेशल इकोनामिक जोन बना दिये हैं. छोड़े से बड़े मालवाहक जहाज तक इसमें दिख जाते हैं. इनके करीब बड़ी इंडस्ट्रीज.

आपको ये भी बता दूं कि जिस हॉलांग बे की बात हो रही है, वो उत्तरी वियतनाम में है, जहां खूब बारिश होती है, अब भी वहां मौसम खराब होने की खबरें आ रही हैं. संयोग से उस दिन मौसम मेहरबान रहा. ये इलाका चीन से सटा हुआ है. चीन अक्सर इस पर दावा भी करता रहा है. “Hạ Long” का मतलब , जहां ड्रैगन समुद्र में उतरा. स्थानीय दंतकथा के अनुसार, हजारों साल पहले एक ड्रैगन ने इस क्षेत्र की रक्षा के लिए समुद्र में उतरकर अपनी पूंछ से अनगिनत द्वीप और चट्टानें बनाईं थीं. इन द्वीपनुमा लाइम स्टोन चट्टानों की संख्या 2000 के आसपास है. ये समुद्र के बीच बहुत खूबसूरत लगते हैं. इनके बीच कुछ बड़े द्वीप एक बहुत बड़ी अचरज भरी हालनुमा बहुत बड़ी गुफा, जिसके लिए 300 सीढ़ियां चढ़नी और उतरनी होती हैं.

खैर, वापस बस पर आते हैं. विली को हमें जो बताना था, वो बताकर बैठ चुके हैं. अब बाहर का नजारा लेने के लिए खिड़कियों से सट चुके हैं. थोड़ी – थोड़ी दूर पर गांव आ रहे थे. गांव के बाहर सुंदर छोटे छोटे पैगोड़ा के समूह. रंग बिरंगे. विशिष्ट. छोटे और मझोले. ये दरअसल कब्रिस्तान हैं. ये वियतनाम की संस्कृति का बेहद दिलचस्प और अनोखा पहलू है. वियतनाम में बौद्ध धर्म, ताओवाद और पूर्वज-पूजा की परंपराएं गहराई से जुड़ी हैं. इसलिए कब्रों का डिज़ाइन सिर्फ दफनाने के लिए नहीं बल्कि श्रद्धा और वास्तु यानि फेंग शुई के अनुसार होता है. हर कब्र एक छोटे मंदिर या स्तूप जैसी बनती है. छत मुड़ी हुई, ऊपर छोटा शिखर, और किनारों पर नक्काशी. इन पर लाल, नीले या सुनहरे रंगों की सजावट होती है. यहां भी हर साल पितृ पक्ष जैसी परंपरा होती है तब संबंधित परिवार इन कब्रों पर जाकर पूर्वजों को भोजन, फूल, अगरबत्ती और शराब का अर्पण करते हैं. इसे कहा जाता है – ले ताओ मो.

यह बात हैरान कर सकती है कि धान के खेतों के बीच में कब्रें क्यों हैं. पुराने समय में वियतनामी लोग चाहते थे कि उनके पूर्वज उनके घर या जमीन के पास दफन हों ताकि उनकी आत्मा परिवार की रक्षा करे और भूमि उपजाऊ बनी रहे. इनकी लगातार सफाई होती रहती है. हनोई से हॉलांग के रास्ते में ये ना जाने कितनी ही बार नजर आती हैं.

रास्ते में एक मिड-वे पर हमारी बस रुकती है. 15 मिनट का समय. यहां सारी खाने-पीने की कतार से दुकानें हैं. ज्यादातर दुकानें महिलाएं चला रही हैं. टायलेट्स बेहद साफ. वियतनामी जमकर नॉनवेज खाते हैं- उबला ज्यादा. तेल उनके खाने में बहुत कम होता है. अपने देश की तरह तला-भुना और फ्राई खाना उनके जीवन में शायद ना के बराबर है. बीयर भी खूब पीते हैं, जो यहां बहुत सस्ती है. एक छोटी लोकल बीयर बॉटल 50 रुपए की मिल जाती है. काश मुझको जुकाम नहीं हो गया होता तो मैं भी इसका आनंद ले पाता. इसे वो लोग बिया कहते हैं. साथ ही जमकर फ्रूट्स और सलाद का सेवन करते हैं. ताजा जूस खूब पीते हैं.

इस मिड-वे पर हमने कॉफी और जूस लिया. कॉफी वियतनामी लोगों को इतना पसंद है कि उन्होंने कॉफी के साथ ना जाने कितने प्रयोग कर डाले हैं – एग कॉफी से लेकर बनाना कॉफी. इसका जिक्र आराम से करूंगा. मैं दूध की चाय पीने का अभ्यस्त हूं लेकिन यहां तो उसका कहीं भी नामोनिशान तक नहीं. व्याकुल हो गया कि यहां इंडियन चाय क्यों नहीं मिलती. चाय जरूर मिलती है लेकिन ग्रीन टी से लेकर जैस्मिन टी तक.

मिड-वे से बस चली तो रास्ते में दो बड़ी नदियां मिलीं, दोनों के अंदर तमाम मझोले किस्म के मालवाहक जहाज खड़े थे. तटों पर सैकड़ों की संख्या में क्रेनें लगी हुई थीं. इंडस्ट्रीज की कतारें. नदियों में कुछ तैरने वाले घर भी दिखे. बस का अगला पड़ाव समुद्र से मिलने वाले सीपों से मोती निकालने वाला एक ब्रीडिंग सेंटर. जहां हमें ये दिखाने ले जाया गया कि किस तरह सीप से मोती निकालते हैं. उन्हें कैसे ब्रीड किया जाता है. सबकुछ सामने करके दिखाया गया. हालांकि असली मंतव्य था साथ लगे मोती ज्वैलरी स्टोर का प्रोमोशन. एक से एक जवाहरात का डिस्प्ले. साथ में जुड़ा हुआ लोकल हैंड्रीक्राफ्ट का बड़ा स्टोर और. फूड स्टोर.

अब इसके बाद हम हॉलांग वे पहुंचने ही वाले थे. जहां एक लाइन से 25 से ज्यादा तरह तरह के क्रूज लोगों का इतंजार कर रहे थे. साधारण से लेकर डीलक्स तक. हमारी बुकिंग बुक माई ट्रिप के जरिए एक डीलक्स क्रूज के लिए हो चुकी थी. हमें तुरंत उस पर शिफ्ट कर दिया. क्रूज के अंदर घुसते ही शानदार लंच चलता हुआ नजर आया. टेबल पकवानों से सजी हुई थी. एक से एक गरम डिशेज पेश हो रही थीं. हमारी फूड च्वाइस पहले ही पूछ ली गई. घुसते ही हमें वेजेटेरियन टेबल की ओर भेज दिया गया. एक के बाद एक व्यंजन आते गए. हम अपनी प्लेटों में उन्हें थोड़ा बहुत डालते गए. हमारे साथ लखनऊ से आए तीन युवा डॉक्टर थे तो बेंगलुरु से आईं 5 लड़कियां. खाना बढ़िया था.

खाना खत्म होते ही मैं क्रूज की दूसरी मंजिल की छत पर चला गया, जहां से समुद्र और उसमें चारों ओर फैले लाइम स्टोन के द्वीपों को निहारा जा सके. चारों ओर द्वीप ही द्वीप. हरे भरे द्वीप. उसी में एक किसिंग द्वीपों का जोड़ा नजर आया. जिसके बारे में क्रूज के गाइड ने पहले ही बता दिया था. वो वाकई ऐसे लग रहे थे जैसे एक दूसरे का चुंबन लेने को आतुर हों.

क्रूज का पहला पड़ाव था लुआन केव्स जिसे लुआंग केव्स भी कहा जाता है. आपने तस्वीरों में जरूर देखा होगा कि समुद्र में उभरी हुई चट्टानें के नीचे से ऐसी सुरंग बनती हैं, जिससे नावें आर-पार जाती हैं. हमें इसी अनुभव से गुजरना था. रोमांचक. समुद्र में करीब दो-तीन किलोमीटर बंबू बोट्स से सवारी और ऐसी समुद्री टनल्स के बीच से गुजरना. (जारी है

संजय श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार

 

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