जनवादी महिला समिति के सामाजिक न्याय जत्थे का हिसार में समापन
सरकार जनता की समस्याएं हल करने की बजाए उन्हें जाति व धर्म के आधार पर लड़वा रही है : सुभाषिनी अली सहगल
हिसार। जनवादी महिला समिति द्वारा 15 दिनों तक चलाए गए सामाजिक न्याय जत्थे का समापन स्थानीय जाट धर्मशाला में किया गया, जहां महिलाओं ने जोशीले नारों और फूल मालाओं के साथ जत्थे का शानदार स्वागत किया। जत्थे का नेतृत्व सीपीएम की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने किया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जनकल्याण समिति तथा स्वतंत्रता सेनानी विशाल सिंह के बेटे चांदीराम, स्वतंत्रता सेनानी नेतराम के पौत्र कृष्णा सांवत, स्वतंत्रता सेनानी हजारी घायल के पौत्र सतबीर सिंह धायल ने सुभाषिनी अली सहगल को फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया।
जत्थे का नेतृत्व प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन लक्ष्मी सहगल की बेटी पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल एवं जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान, राज्य महासचिव उषा सरोहा, राज्य अध्यक्ष सविता, कोषाध्यक्ष अमिता, पूर्व राज्य महासचिव राजकुमारी दहिया, राज्य कमेटी सदस्य अंजू व मुनमुन ने किया। समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता जनवादी महिला समिति की जिला अध्यक्ष शकुंतला जाखड़ ने की और संचालन जिला सचिव बबली लाम्बा ने किया। स्वागत समिति की अध्यक्ष रिटायर्ड प्रोफेसर कृष्णा खामरा ने जत्थे का स्वागत किया। उन्होंने स्वागत करते हुए कहा कि इस समय ऐसे जन जागरण जत्थों की आवश्यकता है, जो महिलाओं के विरुद्ध होने वाले भेदभावों व शोषण के खिलाफ आवाज उठाएं।
जनवादी महिला समिति हिसार की जिला सचिव बबली लांबा ने बताया कि इस मौके पर जत्थे के बारे में बताते हुए राज्य महासचिव उषा सरोहा ने कहा कि अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति हरियाणा द्वारा संचालित सामाजिक न्याय जत्थे का उद्देश्य गीत, नाटक, नृत्य, नारे, साहित्य आदि के माध्यम से नशा खोरी, बेरोजगारी, अंधविश्वास, सामाजिक भेदभाव, रुढि़वाद, जातिवाद व साम्प्रदायिकता के खिलाफ जागरूकता पैदा करना था। यह जत्था 23 जुलाई को प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं जनवादी महिला समिति की संस्थापक सदस्यों में से एक कैप्टन लक्ष्मी सहगल के स्मृति दिवस पर शुरु हुआ और प्रसिद्ध लेखक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के स्मृति दिवस पर समापन हुआ। जत्थे के माध्यम से जनता की दुख तकलीफें और समस्याएं निकल कर सामने आई हैं, जिन पर आने वाले समय में आंदोलन चलाया जाएगा।
जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं भीम अवार्डी खिलाड़ी जगमति सांगवान ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज देश की जनता के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। भंयकर बेरोजगारी, महंगाई व सामाजिक-आर्थिक गैर बराबरी अपनी चरम सीमा पर है। युवाओं को नशा खोरी व अपराध के क्षेत्र में धकेला जा रहा है। दलितों, अल्प संख्यकों व महिलाओं पर सबसे ज्यादा अपराध बढ़े हैं। शर्मनाक स्थिति यह है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली भाजपा सरकार, यौन हिंसा के आरोपियों और अपराधियों को बचाने का काम कर रही है।
मुख्य वक्ता जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल ने कहा कि इस समय देश में मनुस्मृति लागू करने का प्रयास हो रहा है जिसे बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने यह कहते हुए 1927 में जलाया था कि यह किताब महिलाओं व दलितों को अंधेरे में रखने वाली है। उन्होंने देश को संविधान दिया जिसमें देश के सभी नागरिकों को बराबर के अधिकार मिले। उन्होंने महिलाओं को अधिकार दिलवाने के लिए हिन्दू कोड बिल पारित करवाने के प्रयास किए परन्तु आरएसएस जैसे संगठनों ने उनका विरोध किया। जब वे इसे पारित नहीं करवा पाए तो उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इनके साथ-साथ महात्मा बुद्ध, हाली पानीपती, बुल्ले शाह, सावित्रीबाई फूले, ज्योति बा फूले, फातिमा शेख, कैप्टन लक्ष्मी सहगल, पंडिता रमाबाई, रविदास, कबीर, मीराबाई आदि ने महिलाओं के लिए नए रास्ते खोले। उन्होंने छुआछूत, भेदभाव, जात-पात और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
सुभाषिनी ने कहा कि हमें अपनी इस विरासत को आगे लेकर जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज हमने जो लडक़र हासिल किया उस पर हमला हो रहा है। राज्य सरकार जनता की समस्याएं हल करने की बजाए उन्हें जाति व धर्म के आधार पर फूट डालकर आपस में लड़ाने का काम कर रही है। समाज में साम्प्रदायिकता व जातिवाद बढ़ाया जा रहा है। आस्था और धर्म के नाम पर नफरत का माहौल बनाया जा रहा है। हमें मिलकर विरोध करना होगा।
बबली के मुताबिक कार्यक्रमों में सैकड़ों महिलाओं व पुरुषों ने भाग लिया। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा अमृत काल नाटक, गीत व नृत्य प्रस्तुत किए गए। इनके माध्यम से नशाखोरी, अंधविश्वास, अनपढ़ता तथा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के खिलाफ जागरूक किया गया।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति अवॉर्डी प्रोफेसर राजरानी मल्हान, संगठन की पूर्व अध्यक्ष बिमला चौधरी, कोषाध्यक्ष निर्मला, सविता, पूनम बहल, सांस्कृतिक कमेटी की संयोजक सरबजीत व अनीता, स्वागत समिति की उपाध्यक्ष मित्रकांता सुखीजा, रिटायर्ड प्रोफेसर वेद कौर पूनिया, एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल, एडवोकेट बजरंग इंदल, प्रोफेसर अतर सिंह, सुनीता गांधी, नीलम सुंडा, उर्मी, सद्भावना मंच से होशियार खान, नूर मोहम्मद, शमशेर नम्बरदार, पूर्व जिला पार्षद कामरेड सुरेश, मनोज सोनी, जितेंद्र भदावड़, पंकज बगला, सुखदेव, निखिल राजली, ऋषिकेश राजली, सुरेश गिरधर, मियां सिंह बिठमडा, डॉक्टर हितेश, कमलेश राय और नेपाली समाज से दुर्गा शर्मा, सीता पोखरेल, कमला बगाले आदि गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के आंदोलनकारी छात्रों ने भी अपनी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल को सौंपा।