हरियाणाः जूझते जुझारू लोग-49
सुरेश राठी – सीटू से सर्वकर्मचारी संघ तक का सफर
सत्यपाल सिवाच
जीन्द जिले के छोटे से गांव जलालपुर खुर्द के सुरेश राठी वर्तमान दौर के कर्मचारी आन्दोलन में बड़ा नाम हैं। वे ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनस् वर्करज यूनियन के राज्याध्यक्ष हैं। उनका जन्म 20 मार्च 1967 को श्रीमती पतासो देवी और श्री फूलसिंह के यहाँ हुआ। पैतृक काम खेतीबाड़ी है, लेकिन पिता जी के फौज में होने के कारण परवरिश मध्यवर्गीय परिवार की तरह हुई। सुरेश ने गांव के स्कूल से पाँचवीं कक्षा तक पढ़ाई की और जाट हाई स्कूल जीन्द से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करके आई टी आई कैथल से इलेक्ट्रीशियन में डिप्लोमा प्राप्त किया। उन्होंने सरदारशहर राजस्थान से पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा भी किया।
आईटीआई योग्यता के आधार पर वे जीन्द स्थित इंडिया जिप्सम के प्लांट में ऑपरेटर नियुक्त हो गए। उस समय यहाँ एटक से सम्बन्धित यूनियन थी। वे इस यूनियन के अध्यक्ष बन गए। वे थोड़े अरसे बाद धागा मिल में कार्यरत रमेश चन्द्र के संपर्क में आए। उसके बाद उन्होंने अपनी यूनियन को सीटू के साथ सम्बद्ध कर लिया। उससे पहले केवल धागा मिल में ही सीटू की इकाई थी। कामरेड रमेश और अन्य साथियों के साथ मिलकर इन्होंने जीन्द शहर, पोली, बड़ोदा आदि जगहों पर स्थित औद्योगिक इकाइयों में सीटू का गठन किया। जिले में दस-ग्यारह उद्योगों में सीटू बनने पर जिला कमेटी का चयन किया। सुरेश राठी 1987-93 तक सीटू के जिला कोषाध्यक्ष रहे। तभी से सीटू नेता और माकपा राज्य सचिवमंडल के सदस्य कामरेड रमेशचंद्र इनके घनिष्ठतम मित्र हैं।
29 मार्च 1993 को वे हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड में ए एल एम पद पर नियुक्त हो गए और 31 मार्च 2025 को जूनियर इंजीनियर पद से रिटायर हुए। सरकारी नौकरी के साथ ही वे सीटू से सीधे सर्वकर्मचारी संघ से सम्बद्ध एच एस ई बी वर्करज यूनियन (हेड ऑफिस हिसार) के सदस्य बन गए। उन दिनों जीन्द जिले में यूनियन में गिनती के ही सदस्य थे। ये सक्रिय हुए और कुछ पुराने साथियों – राजेन्द्रसिंह, ओमप्रकाश, करतार सिंह मोर और इनके ही साथ के धर्मवीर शर्मा की मदद से विस्तार करना शुरू किया। धीरे धीरे नये सदस्य बनने लगे। संघ आन्दोलनों की वजह से प्रतिष्ठा बढ़ती गई और आज ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनस् वर्करज यूनियन बड़ी ताकत बन चुकी है। यूनियन के इस मुकाम तक पहुंचने में अन्य साथियों के अलावा सुरेश राठी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
वे अपनी यूनियन में सब यूनिट से शुरू होकर सर्किल सचिव पद पर लम्बे समय तक रहे। सन् 1993 की हड़ताल के बाद उन्हें सर्वकर्मचारी संघ का जिला सचिव बना दिया गया। वे इस पद पर वर्षों तक लगातार चुने जाते रहे। जीन्द को क्लास वन सिटी और नरवाना व सफीदों को क्लास टू सिटी बनवाने की लड़ाई में राजबीर बेरवाल व सुरेश राठी ही आन्दोलन के नेता थे। बाद में वे बिजली की यूनियन में एक बार डिप्टी चीफ ऑर्गेनाइजर, एक बार कोषाध्यक्ष और तीन बार राज्य प्रधान पदों पर निर्वाचित हुए। वर्तमान में भी वे अध्यक्ष हैं। वे दो बार सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा उपाध्यक्ष और अब केन्द्रीय कमेटी सदस्य हैं। वे 2017 में इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्य और 2025 में उपाध्यक्ष चुने गए।
आन्दोलनों के दौरान वे लगातार सक्रिय रहे हैं और बहुत बार प्रशासन के साथ टक्कर भी हुई। सन् 1993 से 2025 तक सभी संघर्षों में उनकी शिरकत रही है। वे एक बार तीन दिन के लिए जेल में रहे। बाद में बहुत बार पुलिस ने दिन भर बैठा कर रखा और छोड़ दिया। हड़ताल के समय हर बार वेतन कटता रहा है लेकिन वह समझौता होने पर मिलता रहा। एक बार पीरियड नियमित न होने से वेतनवृद्धि रोक ली गई थी जो बाद में मिल गई।
वे सन् 2020-21 में किसान आन्दोलन के समर्थन में जीन्द शुगर मिल के सामने तेरह महीने से अधिक समय लंगर चलाने में मुख्य किरदार की तरह रहे। बिजली के जीन्द जिले के सभी कर्मचारी इसमें आर्थिक योगदान भी देते थे और वालंटियर्स के रूप में कारसेवा भी करते थे।
मैं लगभग 1994 से ही सुरेश राठी से परिचित हूँ। वे यूनियन के कार्यकर्ता के साथ साथ सहयोगी स्वभाव के व्यक्ति हैं। उन्हें एक टेलीफोन कॉल पर बुलाया जा सकता है। जो काम उनके जिम्मे लगता है उसे निभाने की चेष्टा करते हैं। इसी स्वभाव के चलते उनका सामाजिक दायरा भी बड़ा है। परिवार में उनकी जीवन साथी सुनीता, एक पुत्र, पुत्रवधू और पोता हैं। बेटा पैट्रोल पम्प का काम संभालता है। (सौजन्य ओम सिंह अशफ़ाक)

लेखक: सत्यपाल सिवाच
