नींद अचानक आती है, धीरे-धीरे नहीं! नींद अचानक आती है, धीरे-धीरे नहीं! वैज्ञानिकों ने बताया कि दिमाग क्या करता है
धीरे-धीरे नहीं, बल्कि अचानक नींद की दुनिया में जाना! हमारा दिमाग असल में कब सो जाता है? यह कब काम करना बंद कर देता है? साइंटिस्ट्स ने वह खास पल ढूंढ लिया है। माना जा रहा है कि जो लोग नींद की प्रॉब्लम से परेशान हैं, उन्हें इस बार इलाज में इसका हल मिल सकता है। ड्राइवर गाड़ी चलाते समय अचानक सो जाते हैं। ऐसे कई मामले हैं जहां इस वजह से एक्सीडेंट हुए हैं। साइंटिस्ट्स का मानना है कि नई रिसर्च से इस विषय पर भी नई जानकारी मिल सकती है।
आम धारणा यह थी कि लोग धीरे-धीरे सो जाते हैं। यह ‘ट्रांसफॉर्मेशन’ धीरे-धीरे होता है। न्यूरोसाइंटिस्ट नीर ग्रॉसमैन कहते हैं कि लोग अचानक सो जाते हैं। वे एक पल में जागते हुए से नींद की दुनिया में चले जाते हैं। यह दीवार से गिरने जैसा है। साइंटिस्ट्स ने नींद के इस पल को कैप्चर करने के लिए EEG मॉनिटरिंग की मदद ली है। उन्होंने देखा है कि एक समय पर, दिमाग की एक्टिविटी अचानक बंद हो जाती है। उसके बाद, लोग सो जाते हैं।
साइंटिस्ट सोचते थे कि नींद धीरे-धीरे आती है। ब्रेन की एक्टिविटी धीरे-धीरे कम होती जाती है। उसके बाद लोग सो जाते हैं। लेकिन ग्रॉसमैन और उनके साथियों ने पाया कि नींद आने का पल काफी ‘ड्रामैटिक’ होता है। उनके किए गए EEG के डेटा से पता चलता है कि ब्रेन अचानक काम करना बंद कर देता है। अगले ही पल लोग सो जाते हैं। साइंटिस्ट की रिसर्च ‘नेचर न्यूरोसाइंस’ जर्नल में पब्लिश हुई थी। इसमें ग्रॉसमैन ने कहा, “एक हेल्दी वेकेशन स्टेट से एक हेल्दी नींद तक – यह खास स्टेट बस एक पॉइंट को मार्क करती है।”
काम के प्रेशर या थकान की वजह से बहुत से लोगों को नींद नहीं आती। नींद की दिक्कतें होती हैं। इसका असर इंसान के शरीर पर पड़ता है। साइंटिस्ट्स ने अब यह पता लगा लिया है कि लोग ठीक किस समय सो जाते हैं। माना जा रहा है कि इससे उन लोगों का इलाज मुमकिन हो पाएगा जिन्हें नींद नहीं आती और सोने के लिए उन्हें रेगुलर दवा लेनी पड़ती है। बहुत से लोग काम के दौरान अचानक सो जाते हैं। इस बार, अगर वह काम नेशनल हाईवे पर कार चलाना हो या कोई मशीन चलाना हो, तो खतरा कई गुना बढ़ जाता है। साइंटिस्ट्स के एक ग्रुप का मानना है कि इस नई स्टडी से वह दिक्कत भी हल हो सकती है।
नींद सिर्फ़ तब नहीं आती जब दिमाग इनएक्टिव हो। इसके पीछे कुछ न्यूरॉन्स होते हैं, जिन्हें न्यूक्लिआई कहते हैं। कुछ न्यूक्लिआई आपको जगाए रखते हैं। कुछ आपको दोबारा सोने में मदद करते हैं। जब दिमाग जागे हुए से नींद में जाता है, तो कुछ न्यूक्लिआई बंद हो जाते हैं। और इसी वजह से दिमाग काम करना बंद कर देता है।
साइंटिस्ट्स ने एक और बात देखी है। दिमाग का फ्रंटल कॉर्टेक्स सबसे पहले नींद की हालत में जाता है। यह फ्रंटल कॉर्टेक्स सोचने, याद रखने और इमोशंस बनाने के लिए ज़िम्मेदार होता है। दिमाग का ऑक्सिपिटल कॉर्टेक्स उसके बाद नींद की हालत में जाता है। यह ऑक्सिपिटल कॉर्टेक्स दिमाग को देखने वाली चीज़ों के बारे में जानकारी देता है। साइंटिस्ट्स को इससे अंदाज़ा हुआ है कि कुछ लोगों को सोने में ज़्यादा समय क्यों लगता है। आनंदबाजारडॉटकाम से साभार
