रेमण्ड नैट टर्नर की कविता – इकबालिया बयान

कविता

इकबालिया बयान

रेमण्ड नैट टर्नर

जब खरीद और बिक्री कानून द्वारा नियंत्रित होने लगती है, तो सबसे पहले खरीदे और बेचे जाने वाले माल सांसद और विधायक होते हैं।”
-पी. जे. ओ’रूर्के

परिषद सदस्य फलाने, आपने कहा
आप मेरे लक्ष्य का समर्थन करेंगे…”

मैंने झूठ बोला था।
मैं तो अपने फायदे पर निगाह रखता हूँ-
और इस सबसे कठिन समय के दौरान
मुझमें अपराध के प्रति नरमी नहीं पायेंगे…

मैं अपनी टोपी मैदान में उछाल रहा हूँ
महापौर पद की दौड़ के लिए- क्योंकि
वास्तव में, उसी से हासिल हो सकती है मुझे
जोर-जबर की कुर्सी- एकदम बेजोड़-
और बन्दूक के नीचे से बच निकलने की राह
और वास्तव में कुछ काम करवाना— बनाना
अपने मतलब लायक, दमदार नीति जो
हमारे लोगों की, सभी लोगों की मदद करे!

और मैं मदद करने की स्थिति में रहूंगा
हमारे और भी लोगों— सभी लोगों की
मुख्यमंत्री बनकर… अब कोई कुछ बिगाड़ नहीं पायेगा
कोई इल्जाम नहीं लगाएगा चुनावी तिकड़मबाजी का
राज्य सभा में! और जब मैं संसद की दौड़ में रहूँगा
तब मदद करने की स्थिति में रहूँगा मैं
हमारे और भी लोगों— सभी लोगों की!

अड़ंगेबाजी के दिन गिने-चुने हैं
मेरे- 100 में से एक!
लेकिन, मैं तुमको बताऊँ कि मैं नहीं अपना सकता
प्रतिबन्धों पर नरम रवैया; कमजोर नहीं पडूँगा साथ देने में
हमारे लिए लड़ने वाले पुरुषों और महिलाओं का
दुनिया भर में…

अरे वाह, अब कहाँ हैं आहें भरने वाले?
बारीक फर्क बतानेवाले कहाँ हैं? तुम्हारे बेवकूफ
भोंदू कम्युनिस्ट जो कहते थे कि तुम
राजनीति को कलाबाजी मत समझो
समझौता मत करो – “झूठ मत बोलो –
आसान जीत के लिए तिकड़म मत भिड़ाओ…”
मैं उस बदलाव के करीब हूँ जिस पर तुम यकीन कर सकते हो-
आकाश में शकरकंद की ऐसी-तैसी…

(रेमण्ड नैट टर्नर ब्लैक एजेंडा रिपोर्ट के मुकामी कवि और मंच अभिनेता हैं। मंथली रिव्यू, 1 मार्च 2002 में प्रकाशित.

अनुवाद – दिगम्बर

(दिगंबर के फेसबुक वॉल से साभार )

 

 

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