रमेश जोशी का गीत- सेठजी

गीत

सेठजी

रमेश जोशी

 

आपके बाप का है वतन, सेठजी ।

लूटो जितना तुम्हारा हो मन, सेठजी ।

 

लोग भूखे रहें, कोई मुद्दा नहीं

कर ही लेंगे ये सब कुछ सहन, सेठजी ।

 

कोई मूरत लगे या बने मकबरा

खर्च हम को ही करना वहन, सेठजी ।

 

घास हमको न डाले कोई पंच भी

आपके साथ सारा सदन, सेठजी ।

 

हमको दो गज़ ज़मीं भी नहीं मिल सकी

आपके पास धरती-गगन, सेठजी ।

 

ठाठ ही ठाठ हैं, आप करते हैं क्या

प्रश्न ये ही है सबसे गहन, सेठजी ।

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