रमेश जोशी का व्यंग्य- जूते और कुत्ते की जन्मपत्री

व्यंग्य

जूते और कुत्ते की जन्मपत्री

 रमेश जोशी

आज तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर,कोई अच्छा ज्योतिषी ध्यान में हो तो बता ?

हमने कहा- ये सब बकवास हैं । दशरथ के कुलगुरु वशिष्ठ जी ने बहुत सोच समझकर मुहूर्त निकाला था लेकिन हुआ क्या ? शादी के बाद दशरथ की मृत्यु और राम को वनवास ।

बोला- यह सब वशिष्ठ जी को मालूम था । उन्हें पता था कि रावण को वरदान मिला हुआ है कि वह किसी नर या वानर से नहीं मारा जाएगा । इसीलिए विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया, वन में जाकर वानर-भालुओं की सेना बनाई और रावण का विनाश किया । यह सब देवताओं की सेटिंग थी राक्षसों को उल्लू बनाने के लिए ।

हमने कहा- राम मंदिर और सेंट्रल विष्ठा का मुहूर्त भी तो ज्योतिषियों ने निकाला था लेकिन दोनों टपकने लगे कि नहीं ?

बोला- वह तो सीमेंट के थोड़ी रेत ज्यादा हो गई थी लेकिन नीले रँग की बाल्टी रखवा तो दी गई कि नहीं । वैसे जैसे सूट सिलने से पहले अच्छे दर्जी एक बार उसे कच्चा करके पहनाकर टेस्ट करते हैं । सो यह भी टेस्ट था । अच्छा है टेस्ट हो गया अब अगली हजार बरसातों तक नहीं टपकेगा ।

हमने कहा- और अगर ज्योतिष से ही पता चलता है तो पुलवामा और पहलगांव का भविष्य भी दिखला लेते और कर लेते सुरक्षा इंतजाम । क्यों मरवाया लोगों को ।

बोला- अगर ज्योतिष में कुछ विज्ञान नहीं होता तो ज्योतिषी कैसे बता देते कि कब कौनसा ग्रहण होगा, कहाँ कहाँ दिखाई देगा और कब शुद्ध होगा ।

हमने कहा- यह ज्योतिष नहीं यह सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा आदि की गति  का शुद्ध गणित है जो सभी देशों  के वैज्ञानिक बता देते हैं और उस विद्या को ज्योतिष नहीं, खगोल विज्ञान कहते हैं । जिसमें भारत मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक चंद्रशेखर को नोबल पुरस्कार मिला था ।  बोला- तू भले ही मान या नहीं लेकिन मुरली मनोहर जोशी फिजिक्स कर प्रोफेसर थे  और उन्होंने अपने  शिक्षा मंत्री के कार्यकाल में कुछ सोचकर ही तो विश्वविद्यालयों में ज्योतिष की पढ़ाई शुरू कारवाई होगी ना । और संघ और भाजपा ने बहुत अच्छी तरह से ज्योतिष गणना करके ही तो मोदी जी प्रधान मंत्री बनाया कि यह बंदा विष्णु का अवतार है और कभी चुनाव नहीं हारेगा और जब तक भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बन जाएगा, विश्व गुरु नहीं बन जाएगा, अर्थव्यवस्था 500 ट्रिलियन की नहीं हो  जाएगी  तब  तक  दिन  में  22-22  घंटे सेवा करता रहेगा । लेकिन काम पूरा करके ही छोड़ेगा ।  हमने कहा- लेकिन अमर तो कोई नहीं है । कभी भी ब्रह्मा, विष्णु और  महेश किसी को अमर  होने का वरदान  नहीं देते । जन्म के साथ सबके मरण का दिन भी लिख ही दिया जाता है । राम-कृष्ण अवतार थे, जन्म लिया तो मरना ही पड़ा, दुनिया से जाना पड़ा, माया समेटनी ही पड़ी कि नहीं ?   बोला- हो सकता है मोदी जी विष्णु के अवतार नहीं बल्कि साक्षात  विष्णु ही हों । तभी आडवाणी  जी,  मुरली मनोहर जोशी कुछ नहीं कर रहे बल्कि चुपचाप बरामदे में बैठे कयामत का इंतजार कर रहे हैं ।   अगर आडवाणी जी किसी अच्छे ज्योतिषी से कंसल्ट कर लेते तो 2014 में कभी इन्हें प्रधानमंत्री का  उम्मीदवार नहीं बनाते ।  लेकिन तू टाइम खोटी मत कर । तुझे किसी अच्छे ज्योतिषी का पता नहीं मालूम तो वैसे कह दे । मैं  किसी और से पूछ लूँगा ।  हमने कहा- सभी ज्योतिषी अच्छे होते हैं । समान रूप से चतुर, चालाक और लालची । वे भारी दक्षिणा  देने पर  जैसा चाहे मुहूर्त निकाल देते हैं । बिना तोड़ -फोड़  किए   वास्तु   दोष  ठीक  कर  देते  हैं  ।  तभी  तो  पंचकों में राम मंदिर का मुहूर्त निकाल दिया और लगी नहीं कि राम लला की छत टपकने ।

बोला- तेरी सब बात ठीक लेकिन एक बात बता । तेरा यह जर्मन शेफर्ड कुत्ता बीज बोने के बाद तेरी क्यारियों को खोद खोद कर खराब कर देता है कि नहीं ?

हमने कहा- हाँ, लेकिन यह तो कुत्तों का सामान्य स्वभाव होता है ।

बोला- नहीं । सब कुत्ते ऐसा नहीं करते ।  अगर तू इसकी जन्मपत्री दिखवा लेता तो तुझे पता चल जाता कि यह पिछले जन्म में स्वयंसेवक था  और स्वयंसेवक को सेवा करने की ऐसी बीमारी होती है कि जब वह एक बार सेवा कर्म में दीक्षित हो जाता है तो फिर सेवा किए बगैर नहीं मानता । भले ही जिसकी सेवा की जा रही हो वह सेवा से पीड़ित होकर मर ही क्यों न जाए ।पुजारी खुद तो ठंड से बचने के लिए कई कपड़े पहने रहता है लेकिन क्या वह कभी  सोचता है कि भयंकर सर्दी में शिव लिंग पर ठंडा पानी डालने से शिव जी को कैसा लगता होगा ।

हमने कहा-यह बात तो सच है । यह बार बार क्यारियाँ खोद देता है । यहाँ तक कि जिसमें पौधे उगे रहते हैं उसे भी खोद देता है । अब क्या करें । कोई उपाय ?

बोला – सबका उपाय है लेकिन स्वयंसेवक का नहीं । अब भुगत ज्योतिष पर विश्वास न करने का परिणाम । मैं तो चला किसी अच्छे ज्योतिषी से कंसल्ट करने के लिए ।

और तोताराम बिना चाय पीये ही चला गया ।

हमें लगा कि जानवरों ही नहीं बल्कि जूते चप्पलों की भी जन्म पत्री बनवा-दिखला  लेना  चाहिए ।  इसमें  भी  कुछ  न कुछ दैवीय जैसा कुछ अवश्य होता है  वरना एक जूता मंदिर में चोरी हो जाता है,  एक जूता अच्छा भला होने पर भी पहनने की बजाय किसी पर फेंक दिया जाता  है और कोई जूता  बार बार   रिपेयर हो होकर  ज़िंदगी भर किसी के पैरों में घिसटता रहता है तो  एक जूता किसी  सिंहासन  पर  विराजमान  होकर  सरकार चलाता है ।

हमने इस बहस-मुबाहसे और चिंता-चिंतन में ध्यान ही नहीं दिया ।  जब उठाकर अंदर जाने लगे तो देखा  हमारी चप्पलें ही गायब हैं ।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *