ओमप्रकाश तिवारी की कविताएं

ओमप्रकाश तिवारी की कविताएं

 

वक्त

सुबह कितनी देर रुकती है

देखते देखते हो जाती है दोपहर

फिर चुपके से आ जाती है शाम

दबे पांव आती है रात

जो कुछ वक्त ठहरती है

फिर हो जाती है भोर

इसी तरह चलता है समय चक्र

///—-सत्य——///

जो अभी बन रही है इमारत

एक दिन गिरना इसे भी है

एक-एक ईंट गलेगी इसकी

और समूचा भवन हो जाएगा खंडहर

हर नई चीज की यही नियति है

खत्म होना ही अंतिम परिणीति है

///——-इतिहास—-////

कौन टिका है इस जगत में

पारसी आये और तुर्क भी

मुगल आये और मंगोल भी

अंग्रेज भी आये इस देश

कुछ शासक रहे वर्षों तक

फिर मिट गई उनकी भी हस्ती

बचा तो केवल इतिहास

जिसमे दर्ज है हर किसी का कर्म

///—-सवाल—////

क्या फर्क पड़ता है

किसी के हिंदू होने

और किसी के सिख होने से

किसी के मुसलमान होने

और किसी के ईसाई होने से

किसी के नास्तिक होने से भी

हैं तो सब इंसान ही

जो मानते हैं मानवता को

क्या आदमी होना काफी नहीं