मंजुल भारद्वाज की कविता – केमिकल लोचा है भाई !

केमिकल लोचा है भाई !

– मंजुल भारद्वाज

मुन्ना भाई ने

बापू के बारे में

चार बातें पढ़ी

और

मुन्ना गांधीगिरी करने लगा

मुन्ना को विश्वास हो गया

बापू के बारे में वो सब जानता है

बापू उसके साथ है

सर्वशक्तिमान ने मुन्ना के भ्रम को तोड़ दिया

उसने सरेआम मुन्ना से

बापू के बारे में वो सवाल पूछे

जिसके बारे में मुन्ना ने नहीं पढ़ा था

मुन्ना के दिमाग में

केमिकल लोचा हो गया

पढ़े लिखे लोगों को

गांधी मुन्ना की तरह

समझ आता है

पढ़े लिखे लोग

इसी भ्रम के साथ जीते हैं

मुन्ना की तरह

उनका भ्रम नहीं टूटता

मुन्ना की तरह उनके दिमाग में

केमिकल लोचा भी नहीं होता

केमिकल लोचा

गाँधी को पढ़ने से नहीं

गांधी को जीने से होता है

गांधी किताबों में नहीं

ज़िंदगी जीने से समझ आता है!