हरियाणाः जूझते जुझारू लोग-46
ओमप्रकाश मान – एक जुझारू और साहसी नेता
करनाल जिले के बल्ला गांव के साधारण किसान परिवार में पैदा हुए ओमप्रकाश मान अपनी सक्रियता और जुझारूपन के चलते अध्यापक संघ में राज्य अध्यक्ष के शीर्ष पद तक पहुंचे। उनका जन्म 3 मई 1944 को हुआ था और दिल का दौरा पड़ने से 19 सितम्बर 1991 को आकस्मिक निधन हो गया। उन्होंने स्कूल में मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त करके दो वर्षीय जे.बी.टी. कोर्स किया और सन् 1966 में अस्थायी तौर पर अध्यापक नियुक्त हुए और बाद में अनुभव के आधार नियमित सेवा में आए।
सन् 1973 की हड़ताल में ही वे सक्रिय रूप से यूनियन की गतिविधियों में भाग लेने लगे थे। मान गगसीणा निवासी चरण सिंह सन्धू से काफी प्रभावित रहे। सन् 1980 में वे खण्ड स्तर पर, 1982 में उपमंडल प्रधान तथा 1984 में जिला करनाल के प्रधान चुने गए। वे खाड़कू और संघर्षशील माने जाते थे। शिक्षा अधिकारियों पर उनका खास दबदबा रहता था। अध्यापकों की सामूहिक और व्यक्तिगत समस्याओं का निवारण उनका कारगर मंत्र था- स्थानीय मुद्दों पर स्थानीय संघर्ष। इस कार्यनीति को आज तक भी संगठन के प्रति प्राथमिक चेतना के निर्माण के लिए आवश्यक माना जाता है। इसी के चलते उन्हें एक जुझारू नेता का रुतबा हासिल हुआ था।
17 फरवरी 1985 को जब यूनियन में विभाजन हो गया तो उन्हें विशेष अधिवेशन में राज्याध्यक्ष बनाया गया। संगठन में बढ़ते व्यक्तिवाद और अध्यापक- भवन ट्रस्ट सम्बन्धी मामले का निपटारा नहीं हुआ तो उन्होंने आम अध्यापकों के बीच सच्चाई को ले जाने के लिए शेरसिंह, अमृतलाल चोपड़ा, बनी सिंह, धर्म सिंह आदि नेताओं के साथ डटकर काम किया। उन्होंने ही इस अभियान को “शुद्धीकरण” नाम दिया था। इस अरसे में उन्होंने संगठन को गतिशील बनाने तथा विस्तार करने में सराहनीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में ही 4 सितम्बर 1985 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मुलाकात हुई तथा मार्च 1986 में चिकित्सा भत्ता व ग्रामीण भत्ता जैसी मांगें हासिल हुई।
व्यक्तिगत कारणों से वे बाद में पदाधिकारी नहीं रहे, लेकिन आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे। वे संघर्ष के दौरान गिरफ्तारियां, निलंबन, बर्खास्तगी आदि झेलने में पीछे नहीं रहे। जब 1986-87 में सर्व कर्मचारी संघ का गठन हो गया और निर्णायक आन्दोलन चला तब भी संघर्ष में शामिल रहे। उन्हें बाद में कम ही समय मिला और सितंबर 1991 में उनका असमय देहांत हो गया। स्वर्गीय ओमप्रकाश मान के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमवती तथा तीन पुत्र वीरेन्द्र सिंह, हरेन्द्र सिंह और रविन्द्र सिंह हैं। (सौजन्य: ओम सिंह अशफ़ाक)

लेखक व फोटो: सत्यपाल सिवाच
