‘मेलिसा’ चेतावनी है, क्यों दुनिया अचानक आने वाले भीषण तूफानों के प्रति असहाय हो रही है

‘मेलिसा’ चेतावनी है, क्यों दुनिया अचानक आने वाले भीषण तूफानों के प्रति असहाय हो रही है

अलेग्जेंडर बाकर एवं लिज स्टीफेन्स

बर्कशायर। चक्रवात मेलिसा इस समय कैरिबियाई क्षेत्र में तबाही मचा रहा है, जमैका में रिकॉर्ड तोड़ हवाएं और भारी बारिश ला रहा है। यह पहली बार है जब इस द्वीप पर श्रेणी-5 का तूफान दस्तक दे रहा है।
मेलिसा को लेकर चिंता सिर्फ इसकी ताकत की नहीं है, बल्कि इस बात की है कि यह इतनी तेजी से भीषण तूफान में कैसे बदल गया। महज 24 घंटों में यह एक सामान्य तूफान से बढ़कर 170 मील प्रति घंटे की रफ्तार वाला खतरनाक चक्रवात बन गया।
वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को “तेजी से तीव्र होना” कहते हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म हो रही है, तूफानों का यह अचानक शक्तिशाली होना अधिक आम होता जा रहा है।
ऐसे तूफान सबसे ज्यादा खतरनाक इसलिए हैं क्योंकि ये लोगों को तैयारी का पर्याप्त समय नहीं देते। हालांकि मौसम पूर्वानुमान में सुधार हुआ है, लेकिन तूफानों के अचानक तीव्र होने की भविष्यवाणी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
बेहतर पूर्वानुमान के लिए चक्रवात के “इनर कोर” यानी तूफान के केंद्र — विशेषकर आंख की दीवार (आईवाल) के आसपास अधिक सटीक निगरानी और उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले कंप्यूटर मॉडल की आवश्यकता है, जो तूफान की जटिल संरचना को बेहतर ढंग से पकड़ सकें। नई कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित तकनीकें इसमें मदद कर सकती हैं, लेकिन वे अभी प्रारंभिक स्तर पर हैं।
वर्तमान स्थिति में, अचानक तीव्र होने वाले तूफान समुदायों को निकासी के लिए बहुत कम समय देते हैं, और प्रशासन को राहत केंद्र खोलने या आवश्यक तैयारियां करने का मौका नहीं मिल पाता।
वर्ष 2023 में मैक्सिको में आए चक्रवात ‘ओटिस’ और 2021 में फिलिपीन में आए तूफान ‘राय’ के दौरान भी यही हुआ था। दोनों तूफान जमीन से टकराने से ठीक पहले तेज़ी से प्रचंड हो गए थे, जिससे सैकड़ों लोगों की जान चली गई।
हालांकि मेलिसा के मामले में, इसके धीरे-धीरे जमैका की ओर बढ़ने के कारण वैज्ञानिक इसकी श्रेणी-5 तक पहुंचने की संभावना का पूर्वानुमान पहले ही लगा चुके थे।
तेजी से तीव्र होने वाले तूफानों के लिए कुछ विशेष स्थितियां आवश्यक होती हैं जो वातावरण में अधिक आर्द्रता, ऊंचाई के साथ हवा की गति में परिवर्तन और गर्म समुद्री सतह का तापमान आदि हैं।
हाल के शोध बताते हैं कि 1980 के दशक की शुरुआत से समुद्र का तापमान बढ़ने और वातावरण में नमी बढ़ने के कारण ऐसी स्थितियां अधिक सामान्य होती जा रही हैं। यह प्रवृत्ति केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं समझाई जा सकती क्योंकि मानवजनित जलवायु परिवर्तन इसका प्रमुख कारण है।
मेलिसा के मामले में भी जलवायु परिवर्तन की छाप स्पष्ट दिखाई देती है। इस क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक है। ऐसी स्थितियां जलवायु परिवर्तन के कारण 500 से 800 गुना अधिक संभावित हो गई हैं। गर्म समुद्र तूफान को अतिरिक्त ऊर्जा देता है जबकि समुद्र-स्तर में वृद्धि से तूफान उठने और तटीय बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन से वर्षा में भी वृद्धि हो रही है, क्योंकि गर्म वातावरण अधिक नमी धारण करता है। यही कारण है कि मेलिसा जैसे तूफान धीमी गति से चलते हुए भी जमीन पर अत्यधिक वर्षा ला रहे हैं। जमैका के पहाड़ी इलाकों में एक मीटर तक बारिश की आशंका जताई गई है, जिससे भूस्खलन और भीषण बाढ़ का खतरा है।
कुछ अध्ययन यह भी संकेत देते हैं कि जलवायु परिवर्तन से चक्रवातों की गति यानि तूफान की आगे बढ़ने की क्षमता धीमी हो रही है, जिससे वे भूमि पर अधिक समय तक ठहरते हैं और भारी बारिश करते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक अध्ययन में पाया गया कि अतीत में जमैका में आए तूफान आज की गर्म जलवायु में कहीं अधिक वर्षा उत्पन्न करते हैं।
तेजी से तीव्र होने वाले तूफानों की यह प्रवृत्ति उन्हें अधिक शक्तिशाली श्रेणियों तक पहुंचा रही है और जब इनकी तीव्रता का पूर्वानुमान समय पर नहीं लगाया जा पाता तो परिणाम विनाशकारी होते हैं।
जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता जा रहा है, यह जोखिम और बढ़ेगा। इसलिए वैज्ञानिकों के लिए चक्रवात निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली को बेहतर बनाना और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए अल्प समय में प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।
चक्रवात मेलिसा ने एक बार फिर यह सच्चाई उजागर की है कि तूफान अब पहले की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ रहे हैं, पहले से ज्यादा ताकतवर हैं, और लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचने के लिए बहुत कम समय दे रहे हैं। द कन्वरसेशन से साभार
दोनों लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग से संबद्ध हैं

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