अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों पर लगाया प्रतिबंध

सोशल मीडिया से साभार

अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों पर लगाया प्रतिबंध

माकपा सांसद ने प्रतिबंध हटाने की मांग की, लोकतांत्रिक ताकतों से इसका विरोध करने का आह्वान किया

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने झूठे विमर्श को बढ़ावा देन, युवाओं को भड़काने और आतंकवाद का महिमामंडन करने का आरोप लगाते हुए 25 किताबों के प्रकाशन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। माकपा के राज्यसभा सदस्य वी. शिवदासन ने सरकार से प्रतिबंध हटाने की मांग की और लोकतांत्रिक ताकतों से इसका विरोध करने का आह्वान किया।

मीडिया की खबरों में बताया गया है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कुछ नामचीन लेखकों जैसे मौलाना मौदादी, अरुंधति रॉय, एजी नूरानी, विक्टोरिया स्कोफील्ड और डेविड देवदास आदि की किताबों प्रतिबंध लगाया है। गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ साहित्य जम्मू-कश्मीर में झूठे विमर्शों और अलगाववाद का प्रचार करते हैं।’

‘युवाओं को गुमराह करने वाला साहित्य’

सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि जांच और विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर उपलब्ध साक्ष्य ‘स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं’ कि युवाओं के हिंसा और आतंकवाद में शामिल होने की एक बड़ी वजह यह साहित्य है। इसे ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में फैलाया जाता है और यह धीरे-धीरे युवा दिमाग पर असर डालता है।

आदेश के मुताबिक, “ऐसा साहित्य भारत के खिलाफ युवाओं को गुमराह करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और हिंसा भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.”

इन किताबों पर लगाया प्रतिबंध

1. आजादी

लेखिका: अरुंधति रॉय

2. कश्मीरीज फाइट फॉर फ्रीडम

लेखक: मोहम्मद यूसुफ सराफ

3. तारीख-ए-सियासत कश्मीर

लेखक: डॉ. आफाक

4. कोलोनाइजिंग कश्मीर: स्टेट-बिल्डिंग अंडर इंडियन ऑक्युपेशन

लेखक: हाफ़्सा कंजवाल

5. कश्मीर पॉलिटिक्स एंड प्लेबिसाइट

लेखक: डॉ. अब्दुल गनी गोक्खामी जब्बार

6. डू यू रिमेम्बर कुनन पोशपोरा

लेखक: एस्सर बटूल व अन्य

7. ह्यूमन राइट्स वायलेशन्स इन कश्मीर

लेखक: पियॉटर बालसेरोविक्ज, अघनिएश्का कुजेवस्का

8. अल जिहादु फ़िल इस्लाम

लेखक: मौलाना मौदूदी

9. इंडिपेंडेंट कश्मीर

लेखक: क्रिस्टोफर स्नेडन

10. फ्रीडम इन कैप्टिविटी: नेगोशिएशन्स ऑफ बिलॉन्गिंग अलॉन्ग कश्मीरी फ्रंटियर

लेखिका: राधिका गुप्ता

11. रेज़िस्टिंग ऑक्युपेशन इन कश्मीर

लेखक: हेली दुशिंस्की, मोना बी. भट्ट, अतर जिया, सिंथिया महमूद

12. बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन: जेंडर एंड मिलिटरीजेशन इन कश्मीर

लेखक: सीमा काजी

13. कॉन्टेस्टेड लैंड्स

लेखक: सुमंत्र बोस

14. इन सर्च ऑफ अ फ्यूचर: द स्टोरी ऑफ कश्मीर

लेखक: डेविड देवदास

15. कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट: इंडिया, पाकिस्तान एंड द अनएंडिंग वॉर

लेखक: विक्टोरिया शोफ़ील्ड

16. द कश्मीर डिस्प्यूट: 1947–2012

लेखक: ए. जी. नूरानी

17. कश्मीर एंड द फ्यूचर ऑफ़ साउथ एशिया

संपादक: सुगाता बोस, आयशा जलाल

18. कश्मीर एट द क्रॉसरोड्स: इनसाइड ए 21st सेंचुरी कॉन्फ्लिक्ट

लेखक: सुमंत्र बोस

19. अ डिस्मैंटल्ड स्टेट: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370

लेखिका: अनुराधा भसीन

20. रेज़िस्टिंग डिसएपीयरेंस: मिलिट्री ऑक्युपेशन एंड विमेन्स एक्टिविज़्म इन कश्मीर

लेखक: अतर ज़िया

21. कन्फ्रंटिंग टेररिज़्म

संपादक: मरोफ रज़ा

22. कश्मीर: द केस फॉर फ्रीडम

लेखक: तारिक अली, हिलाल भट, अंगना पी. चटर्जी, पंकज मिश्रा, अरुंधति रॉय

23. मुजाहिद की अज़ान

लेखक: इमाम हसन अल-बन्ना शहीद

24. यूएसए एंड कश्मीर

लेखक: डॉ. शमशाद शान

25. लॉ एंड कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन इन कश्मीर

लेखक: पियॉटर बालसेरोविक्ज, अघनिएश्का कुजेवस्का

प्रकाशन और बिक्री दोनों पर रोक

गृह विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इन किताबों को बाजार से हटाया जाए और इन्हें आगे किसी भी रूप में प्रकाशित या बेचा न जाए.

सरकार का यह फैसला कई हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां एक तरफ इसे युवाओं को गुमराह होने से बचाने की कोशिश बताया जा रहा है, वहीं कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल के रूप में देख रहे हैं

इसकी जानकारी मिलते ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य वी. शिवदासन ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर में 25 पुस्तकों पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की और लोकतांत्रिक ताकतों से इसका विरोध करने का आह्वान किया।

शिवदासन ने एजेंसी से बातचीत में इस प्रतिबंध को ‘‘बेहद पीड़ादायक’’ बताते हुए कहा, ‘‘भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है। लोकतांत्रिक ताकतों को इस प्रतिबंध का विरोध करना चाहिए।’’