एनसीईआरटी के विशेष पाठ में जिन्ना, कांग्रेस, माउंटबेटन को भारत विभाजन का ‘गुनहगार‘ बताया गया
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के मौके पर जारी एक विशेष पाठ में भारत के बंटवारे के लिए मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भारत का विभाजन हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की ‘जुगलबंदी’ के कारण हुआ।
इतिहास को लेकर एक बार फिर बवाल मच गया है। पिछले 11 साल से केंद्र की सत्तासीन भाजपा सरकार इतिहास को लेकर बेचैन रही है। वह अपने ऊपर लगे हर उस दाग को मिटा देना चाहती है जो देश की आजादी की लड़ाई में उस पर लगा हुआ है। उसका टारगेट कांग्रेस रहती है क्योंकि लंबे समय तक देश की सबसे पुरानी पार्टी ही सत्ता में रही है। भाजपा सरकार एक एक कर अपने अतीत को साफ पाक और कांग्रेस तथा अन्य दलों को गुनहगार साबित करने के लिए सरकारी संस्थाओं के जरिये इतिहास को बदलने में जुटी हुई है। ताजा मामला भारत के विभाजन के इतिहास को लेकर है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के मौके पर जारी एक विशेष पाठ में यह कहा गया है कि भारत के बंटवारे के लिए मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार थे। उसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि विभाजन के बाद कश्मीर एक नयी समस्या के रूप में उभरा। यह समस्या भारत में पहले कभी मौजूद नहीं थी और इसने देश की विदेश नीति के लिए चुनौती पैदा कर दी।
इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ देश पाकिस्तान को सहायता देते रहते हैं और कश्मीर मुद्दे के नाम पर भारत पर दबाव बनाते रहते हैं।
इसमें कहा गया है, “भारत का विभाजन गलत विचारों के कारण हुआ। भारतीय मुसलमानों की पार्टी, मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में एक सम्मेलन आयोजित किया। इसके नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग धार्मिक दर्शन, सामाजिक रीति-रिवाज और साहित्य से संबंधित हैं।”
एनसीईआरटी के विशेष पाठ में “विभाजन के अपराधी” शीर्षक वाले खंड में कहा गया है, “अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन हुआ। लेकिन यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था। भारत के विभाजन के लिए तीन तत्व ज़िम्मेदार थे: जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की; दूसरे, कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया; और तीसरे, माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया। लेकिन माउंटबेटन एक बड़ी भूल के दोषी साबित हुए।”
इसमें कहा गया कि माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। उन्होंने सभी को इसके लिए सहमत कर लिया। इस वजह से विभाजन से पहले पूरी तैयारी नहीं हो सकी। सीमाओं का सीमांकन भी जल्दबाजी में किया गया। इसके लिए सर सिरिल रेडक्लिफ को केवल पांच सप्ताह का समय दिया गया।
इसमें कहा गया है, “पंजाब में 15 अगस्त 1947 के दो दिन बाद भी लाखों लोगों को यह नहीं पता था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। इतनी जल्दबाज़ी बहुत बड़ी लापरवाही थी।”
पाठ में जिन्ना को दोषी ठहराया गया है, लेकिन उनके हवाले से यह भी कहा गया है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा या वे अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देख पाएंगे।
इसमें कहा गया, “बाद में, जिन्ना ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने विभाजन की उम्मीद नहीं की थी। उन्होंने अपने सहयोगी से कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। मैंने अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देखने की कभी उम्मीद नहीं की थी।”
पाठ में सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से कहा गया है कि भारत में स्थिति विस्फोटक हो गई। इसमें कहा गया, “भारत युद्ध का मैदान बन गया, और गृहयुद्ध की बजाय देश का विभाजन करना बेहतर है।”
इसमें महात्मा गांधी के रुख का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने विभाजन का विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस के फैसले का हिंसा से विरोध नहीं कर पाए….।
एनसीईआरटी ने दो अलग-अलग पाठ प्रकाशित किए हैं। इसमें छठी कक्षा से आठवीं (मध्य चरण) के लिए और नौवीं कक्षा से 12वीं (माध्यमिक चरण) के लिए एक-एक पाठ है। ये अंग्रेजी और हिंदी में पूरक पाठ हैं, नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं, और इनका इस्तेमाल परियोजनाओं, पोस्टरों, चर्चाओं और वाद-विवादों के माध्यम से किया जाना है।
दोनों पाठ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2021 के संदेश के साथ शुरू होते हैं जिसमें विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की घोषणा की गई है।
भारत का विभाजन हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की ‘जुगलबंदी’ के कारण हुआ : कांग्रेस
विभाजन की नई थियरी सामने आने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारत का विभाजन हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की ‘जुगलबंदी’ के कारण हुआ। साथ ही उसने सत्तारूढ़ भाजपा पर देश के इतिहास को विकृत करने का प्रयास करते हुए संस्थानों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को देश के इतिहास का ‘‘सबसे बड़ा खलनायक’’ करार दिया और कहा कि आने वाली पीढ़ियां उसे माफ नहीं करेंगी।
कांग्रेस प्रवक्ता और पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि पुस्तक में हिंदू महासभा द्वारा मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन सरकार बनाने और विभाजन से पहले दोनों द्वारा यह प्रचार करने के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है कि ‘‘हिंदू और मुसलमान एक देश में एक साथ नहीं रह सकते।’’
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जिस तरह से वे संस्थाओं में दखलअंदाजी कर रहे हैं और इतिहास को विकृत करने की कोशिश कर रहे हैं, हम चुप नहीं बैठेंगे। क्या वे 1938, 1940 और 1942 के ये पन्ने हटा सकते हैं?’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर श्रद्धांजलि देने गए थे, क्योंकि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ‘‘विभाजन की मांग में एक साथ’’ थे।
खेड़ा ने दावा किया कि 1938 में हिंदू महासभा ने गुजरात में साबरमती के तट पर अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया था, जहां यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि हिंदू और मुसलमान एक देश में एक साथ नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा कि 1940 में लाहौर अधिवेशन में मुस्लिम लीग ने इसे आगे बढ़ाया और इस कथन को दोहराया, लेकिन एनसीईआरटी के पाठ में उनके बारे में कोई उल्लेख नहीं है।
कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘‘जब 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, तो कांग्रेस नेताओं ने प्रांतीय विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और सड़कों पर उतर आए। उस समय, हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने गठबंधन किया और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत, बंगाल और सिंध में सरकारें बनाईं।’’
उन्होंने पूछा, ‘‘क्या एनसीईआरटी के पाठ में यह लिखा है कि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने संयुक्त गठबंधन सरकारें बनाईं?’’
खेड़ा ने कहा, ‘‘यदि उस पुस्तक में ये सब कुछ नहीं लिखा है जो इतिहास है, तो उसे जला दीजिए।’’
भाजपा बोली, ‘विभाजन का सच सामने आने से कांग्रेस दुखी‘
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारत के विभाजन पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि विपक्षी पार्टी को पीड़ा इस बात की है कि ‘सच्चाई’ सामने आ गई है।
कांग्रेस को ‘‘राहुल-जिन्ना पार्टी’’ बताते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उनकी सोच पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के समान है।
काग्रेस पर पलटवार करते हुए भाटिया ने कहा कि कांग्रेस को इस बात से पीड़ा हो रही है कि एनसीईआरटी ने विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए भारत के विभाजन का एक ‘‘कड़वा सच’’ सामने ला दिया है।
उन्होंने यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘राहुल-जिन्ना पार्टी को सबसे पहले इस दर्द का एहसास हुआ। और यह कहना गलत नहीं होगा कि
जिन्ना और राहुल की सोच एक जैसी है। दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं।’’
भाटिया ने आरोप लगाया, ‘‘जिन्ना की तुष्टीकरण और सांप्रदायिकता की जहरीली सोच थी। राहुल गांधी और कांग्रेस की भी यही सोच है।’’
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह जानना लोगों का अधिकार है कि विभाजन क्यों हुआ और यह किसकी विफलता थी।
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ‘‘कांग्रेस और उसके नेता की महत्वाकांक्षा’’ राष्ट्रीय हित से ऊपर हो गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि ‘अखंड भारत’ का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था। हमारे इतिहास में यह काला धब्बा कांग्रेस की देन है।’’
भाटिया ने कहा कि देश की जनता और भाजपा का मानना है कि देश को संविधान से चलना चाहिए, जबकि कांग्रेस का मानना है कि देश को शरिया कानून से चलना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘जिन्ना ने भी कहा था कि शरिया कानून होना चाहिए। कांग्रेस कहती है कि लोगों को धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए। जिन्ना ने भी यही कहा था।’’
आरएसएस पर हमले को लेकर भाटिया ने कहा, ‘‘जिन लोगों ने हमेशा भारत के साथ विश्वासघात किया, वे ऐसे देशभक्त संगठन पर सवाल उठा रहे हैं जिसका उद्देश्य भारत की विरासत को संरक्षित करना और उसे मजबूत बनाना है।’’