पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क में सैकड़ों जीन अलग-अलग तरीके से काम करते हैं

पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क में सैकड़ों जीन अलग-अलग तरीके से काम करते हैं

वैज्ञानिकों के अलग-अलग समय पर हुए शोध का खुलासा

जेनी ग्रेव्स

मेलबर्न। दशकों से पुरुषों और महिलाओं में बुद्धिमत्ता तथा व्यवहार के अंतर को लेकर बहस होती रही है, लेकिन अब वैज्ञानिक साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि जैविक रूप से पुरुष और महिला के मस्तिष्क में सैकड़ों जीन अलग-अलग ढंग से सक्रिय रहते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इन जीनों का अलग-अलग तरीके से सक्रिय होना मस्तिष्क विकारों, जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों से जुड़ा हो सकता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, पुरुष और महिला मस्तिष्कों के बीच ये आनुवंशिक अंतर विकास की प्रारंभिक अवस्था में ही स्थापित हो जाते हैं और संभवतः मस्तिष्क के विकास को आकार देने में भूमिका निभाते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल मनुष्यों में, बल्कि अन्य प्राइमेट (वनमानुष) प्रजातियों में भी पाई गई है, जिससे संकेत मिलता है कि ये अंतर बहुत प्राचीन हैं।

जीन गतिविधि में अंतर

कई दशकों के शोध से यह पुष्टि हुई है कि पुरुषों और महिलाओं में मस्तिष्क की संरचना, कार्यप्रणाली और मानसिक रोगों की प्रवृत्ति में अंतर है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि इन अंतरों में कितना योगदान जीन का है और कितना पर्यावरण का।

2017 में किए गए एक अध्ययन में सैकड़ों पुरुषों और महिलाओं के मरणोपरांत मस्तिष्क ऊतक का विश्लेषण किया गया था। इसमें पाया गया कि करीब एक-तिहाई जीनों की सक्रियता एक से दूसरे की तुलना में अधिक थी। इस वर्ष प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि पुरुष मस्तिष्क में 610 जीन अधिक सक्रिय थे, जबकि महिला मस्तिष्क में 316 जीन।

कौन से जीन लिंग-आधारित हैं?

वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि कुछ जीन एक्स और वाई क्रोमोसोम पर स्थित हैं, लेकिन लगभग 90 प्रतिशत लिंग-आधारित जीन सामान्य क्रोमोसोम पर पाए गए हैं। इससे संकेत मिलता है कि सेक्स हार्मोन — जैसे टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन इन जीनों की सक्रियता को नियंत्रित कर सकते हैं।

भ्रूण अवस्था में ही बनते हैं अंतर

2025 में प्रकाशित एक अध्ययन में 266 भ्रूणों के मस्तिष्क के नमूनों की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि भ्रूण अवस्था में ही 1,800 जीन पुरुष भ्रूणों में और 1,300 जीन महिला भ्रूणों में अधिक सक्रिय थे। इन जीनों में से कई वयस्क मस्तिष्कों में पाए जाने वाले लिंग-आधारित जीनों से मेल खाते हैं।

क्या इसका मतलब है कि पुरुष और महिला मस्तिष्क अलग तरह से काम करते हैं?

वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने अधिक जीनों की गतिविधि में अंतर किसी न किसी रूप में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में भी झलक सकता है, हालांकि इसका सटीक प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं है। प्रारंभिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि महिलाओं में अधिक सक्रिय जीन न्यूरॉन संबंधी कार्यों से जुड़े होते हैं, जबकि पुरुषों में अधिक सक्रिय जीन झिल्ली और नाभिकीय संरचनाओं से संबंधित हैं।

मस्तिष्क स्वास्थ्य और रोग

शोध में पाया गया है कि कई महिला-प्रधान जीन अल्जाइमर रोग से जुड़े हैं, जिससे महिलाओं में इस रोग की दोहरी दर को आंशिक रूप से समझाया जा सकता है। वहीं, पशु अध्ययनों में यह संकेत मिला है कि पुरुषों के मस्तिष्क में पाए जाने वाला एसआरवाई जीन पार्किंसन रोग की गंभीरता को बढ़ा सकता है।

विकास की दृष्टि से प्राचीन हैं ये अंतर

ऐसे लैंगिकता-आधारित जीन अंतर केवल मनुष्यों में ही नहीं, बल्कि चूहे, बंदर और अन्य स्तनधारियों में भी देखे गए हैं। मनुष्यों और बंदरों में पाए गए जीन पैटर्न काफी हद तक समान हैं, जिससे संकेत मिलता है कि ये अंतर लगभग सात करोड़ वर्ष पहले के साझा पूर्वजों में उत्पन्न हुए होंगे।

शोधकर्ताओं का कहना है कि प्राकृतिक चयन ने संभवतः ऐसे जीनों को बढ़ावा दिया, जिन्होंने नर और मादा प्राणियों में थोड़े-बहुत व्यवहारिक अंतर विकसित किए। यह प्रवृत्ति संभवतः सभी स्तनधारियों, यहां तक कि सभी कशेरुकी जीवों में भी मौजूद है।

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