शहीदों को समर्पित हरियाणवी रचना
कर्म चंद केसर
सबनैं भरी हुँकार आजादी खात्तर।
फिरंगी दिए ललकार आजादी खात्तर।
भरी जवानी लिकड़े घर तै परवाऩ्ने,
छोड़ दिया घरबार
लाठी कौड़े गोळी तक बी झेल्ली थी,
सह़्यी गोरयाँ की मार आजादी खात्तर।
जात-धरम अर ऊँच-नीच की बात न थी,
सारे लड़े एकसार आजादी खात्तर।
भारत छोड्डो बरगी कई तहरीक चली,
जेळ भरी कई बार आजादी खात्तर।
राजगुरु,सुखदेव,भगत से लाक्खां नैं,
दी जान देस पै वार आजादी खात्तर।
शायर कवि अर् लेखक रचना करदे रह़्ये,
कलम बणी हथियार आजादी खात्तर।
माँयाँ नैं वारे लाल, वीर भाह़्णा नैं,
बेवा हो गई नार आजादी खात्तर।
बाँड्या करते परचे और रसाल्ले बी,
छपदे रह़्ये अखबार आजादी खात्तर।
भर जोश दिला म्हं बोस लड़े थे खुलकै,
फौज करी थी त्यार आजादी खात्तर।
कइयाँ की तो कई-कई पीढ़ी खपग्यी,
उजड़े कई परिवार आजादी खात्तर।
जुलमी नैं कर कतल चराहै टांगें थे,
‘केसर’ से कई यार आजादी खात्तर।
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कर्म चंद केसर हिंदी के अध्यापक हैं। हिंदी और हरियाणवी भाषा में कविता और ग़ज़लें लिखते हैं। हरियाणवी में दो ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हरियाणा के कैथल जिले में रहते हैं।