ज्ञानदीप सीनियर सेकेंडरी स्कूल क्योड़क द्वारा स्कूली बच्चों के लिये काव्य-गोष्ठी का आयोजन

ज्ञानदीप सीनियर सेकेंडरी स्कूल क्योड़क द्वारा स्कूली बच्चों के काव्य-गोष्ठी का आयोजन

 

 

कैथल। हरियाणा के कैथल ज़िले के गाँव क्योड़क के ज्ञानदीप सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रबंधक समिति द्वारा कवियों और बच्चों के बीच संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से एक काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता विद्यालय की स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान एवं संस्थापक चौधरी हरपाल आर्य ने की।मंच-संचालन कवि एवं कृषक विनोद छोक्कर ने किया।

गोष्ठी के आरंभ में कवि-गणों का विद्यालय के प्रबंधक एवं संस्थापक हरपाल आर्य ने फूल-माला पहनाकर स्वागत किया उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य क्षेत्र के कवि-गणों से विद्यार्थियों को रू-ब-रू करवाना और बच्चों में साहित्यिक संस्कार सिंचित करना है।

गोष्ठी का विधिवत् रूप से आरंभ मधु गोयल मधुल द्वारा की गई सरस्वती-वंदना से हुआ। उन्होंने दिसम्बर मास के माध्यम समय-चक्र को इन शब्दों में व्यक्त किया :

मैं महीना हूँ दिसम्बर का, लौटकर आऊँगा अगले बरस।फिर से नया किरदार निभाने को।

ओज के कवि राजेश भारत ने माँ भारती के प्रति अपने श्रद्धा-भाव इन शब्दों में व्यक्त किये-

माँ भारती करता हूँ चरणों में तेरे वंदनम्।मेरा हृदय गाता रहे,दिन-रात वंदे मातरम।

माँ को याद करते हुए राजेश भारती ने कहा –

तेरी मामता की छाँम न थ्यावै।माँ तौं याद घणी आवै।

दिखावे के स्थान पर गुणों को महत्त्व देते हुए डाॅ० तेजिंद्र ने कहा –

धनुष उठाने से कोई,राम नहीं बनता।बंसी बजाने से कोई,शाम नहीं बनता।क़ीमत जहां में दोस्तो,केवल गुणों की है,बाल बढ़ाने से कोई कलाम नहीं बनता।

क्रोध किस समय करना उचित है,इस बारे में बताते हुए विनोद छोक्कर ने कहा –

जब बड़े-बड़े योद्धा मौन धारण कर जायें।दुष्ट की दुष्टता पर,एक शब्द भी बोल नहीं पायें,तो क्रोध ज़रूरी है।

अपनी व्यथा-कथा सुनाते हुए मंजीत भावड़िया ने कहा –

मेरे मन मैं सबकी चिंता,मैं जबर बरौटे आला सूँ। दिन-रात कमाई करूँ फेर भी,थाली-लोट्टे आला सूँ।

गोष्ठी के दौरान उपस्थित कवि-गणों को शाॅल ओढ़ाकर और पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश भेंटकर सम्मानित किया गया। गोष्ठी का समापन विद्यालय की प्रधानाचार्या नेहा तंवर के धन्यवाद-ज्ञापन से हुआ।उन्होंने कहा कि आज पधारे कविगणों की रचनायें सुनकर उन्हें आनन्द की अनुभूति हुई है।साथ-साथ बच्चों और बड़ों को बहुत-कुछ सीखने को मिला है। विद्यालय के बच्चों ने इस काव्य-आयोजन का भरपूर आनंद लिया और काव्य-पाठ के दौरान कवियों द्वारा किये गये प्रश्नों के उत्तर भी दिए।

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