पाकिस्तान चले जाएं

जयपाल

किसानों को हिदायत है-

या तो वे खेतों में काम करें

और काम करते-करते मर जाएं

या सल्फास खाकर आत्महत्या कर लें

नहीं कर सकते तो

पाकिस्तान चले जाएं

मजदूरों को आदेश है-

मज़दूर मज़दूरी करें और भूख से मरें

नहीं मर सकते तो

पाकिस्तान चले जाएं

दलितों को फरमान है-

वे गटर साफ करें और उसी में मरें

कचरा उठाएं और उसे ही खाएं

नहीं खा सकते तो

पाकिस्तान चले जाएं

बुद्धिजीवियों को सख्त निर्देश है-

वे किसी संघर्ष में शामिल न हों

धरने-प्रदर्शन से दूर रहें

घर में बैठ कर दूरदर्शन देखें

नहीं देख सकते तो

पाकिस्तान चले जाएं

मज़दूर ‘किसान,दलित, पिछड़े,अल्पसंख्यकों को

यह अन्तिम चेतावनी है-

कि वे अपना मुंह बंद रखें

और अपनी औकात में रहें

नहीं रह सकें 

तो पाकिस्तान चले जाएं

कवि का परिचय 

-जयपाल हरियाणा के अंबाला में रहते हैं। पंजाब में अध्यापक थे। अब सेवा निवृत्त हो चुके हैं। साहित्यिक संगठनों जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ और हरियाणा लेखक मंच में सक्रिय हैं। एक कविता संग्रह *दरवाजों के बाहर आधार प्रकाशन से प्रकाशित। इसी संग्रह पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शोध-कार्य किया गया। इसके अलावा *देस हरियाणा पत्रिका के संपादक मंडल में* हैैं। लगातार लेखन में सक्रिय।