हरियाणा के जीन्द शहर से लोककवि सुनील सैनी “सीना” को वैदिक प्रकाशन हरिद्वार द्वारा “वैदिक रामानुज सम्मान 2025 से सम्मानित”

हरिद्वार की देवभूमि पर वैदिक गरिमा का उद्घोष: ‘वैदिक रामानुज वार्षिकी सम्मान समारोह’ का भव्य आयोजन संपन्न। – प्रकाशिका प्रशस्ति सचदेव।

 

हरियाणा के जीन्द शहर से लोककवि सुनील सैनी “सीना” को वैदिक प्रकाशन हरिद्वार द्वारा “वैदिक रामानुज सम्मान 2025 से सम्मानित”

 

हरिद्वार में भव्य साहित्यिक समारोह संपन्न: 60 रचनाकारों को “वैदिक रामानुज सम्मान-2025” से नवाज़ा गया। देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र नगरी हरिद्वार में कल, 7 दिसंबर, 2025 को साहित्य का एक भव्य एवं गरिमापूर्ण आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। वैदिक प्रकाशन, हरिद्वार द्वारा आयोजित “वैदिक रामानुज सम्मान समारोह-2025” में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे कुल 60 प्रतिभावान रचनाकारों को सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठित अवसर पर, साहित्य प्रेमियों के लिए 16 साझा संकलन तथा एकल पुस्तिकाओं का भव्य विमोचन भी किया गया।समारोह का कुशल संचालन कवि आदरणीय सुनील सैनी “सीना”, युवा कवयित्री एवं लेखिका आदरणीया हिना कौसर गोरखपुरी एवं अभिषेक मिश्रा “अभिव्यक्ति” द्वारा किया गया, जिन्होंने पूरे आयोजन को एक सूत्र में पिरोए रखा। मुख्य रूप से उपस्थित गणमान्य अतिथि: इस सम्मान समारोह की शोभा बढ़ाने वालों में मुख्य रूप से वैदिक प्रकाशन की वरिष्ठ सलाहकार आदरणीया अंजलि सारस्वत शर्मा, समन्वयक आदरणीया नीतू कुमारी, प्रबंधक गौरव शर्मा, सह-प्रकाशक आदरणीया राधा मिश्रा शर्मा, आदरणीय अजीत आर्य एवं आदरणीय अरुण कुमार शास्त्री उपस्थित रहे। उन्होंने सभी साहित्यकारों को साहित्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए “वैदिक रामानुज सम्मान-2025” से अलंकृत किया। आज के सांस्कृतिक आयोजन में विभिन्न कलाकारों और वक्ताओं ने अपनी कला और विचारों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर समापन तक, प्रस्तुतियाँ अत्यंत प्रभावशाली रहीं। मंगलाचरण (ईश वंदन): कार्यक्रम का शुभारंभ आदरणीय अंजली सारस्वत शर्मा जी के मधुर ईश वंदन के साथ हुआ, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। वैचारिक सत्र: अजीत आर्य ने अपने ‘मनोविचार’ प्रस्तुत किए, जिनमें उन्होंने समसामयिक विषयों पर अपने गहन दृष्टिकोण साझा किए। नीतू जी द्वारा संपादकीय वाचन किया गया, जिसमें कार्यक्रम के उद्देश्य और महत्व को रेखांकित किया गया। जोनाकी जी ने अपना लेख वाचन किया, जिसे दर्शकों ने ख़ूब सराहा। काव्य प्रस्तुतियाँ: रश्मि चौहान जी ने अपनी ओजस्वी कविता का पाठ किया। वेदांत मिश्र और वरेण्य ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं तक अपने भाव पहुँचाए। विशेष कला प्रदर्शन: हिना जी, चंद्रकला भागीरथी जी, और सुनील सैनी जीन्द (हरियाणा) ने अपनी विविध प्रस्तुतियों (लोक गायन/वादन/कला) से दर्शकों का मनोरंजन किया। इनके हरियाणवी व हिन्दी गीत मंत्रमुग्ध करने वाले हैं। उपस्थिति सभी साहित्यकारों व दर्शकों ने इनके गीत, काव्य-पाठ व नव विमोचित पुस्तक “मेरी परछाई” की भरपूर प्रशंषा की। बाल कलाकार (तन्वी, वृंदा और अनाया) ने एक मनमोहक समूह नृत्य प्रस्तुत किया, जो कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण रहा। समापन उद्बोधन: अंत में, शांति कुंज के कार्यकर्ता ने धन्यवाद ज्ञापन व प्रेरणादायी दो शब्द कहकर कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।

 

( ‘वैदिक प्रकाशन’ केंद्रीय समिति के मीडिया प्रभारी, सतत सेवा में संलग्न युगपुरुष कविवर सूर्य।)

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