यूरोपीय संघ ने रोसनेफ्ट की भारतीय रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाए, तेल मूल्य सीमा घटाई
नयी दिल्ली। यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को रूस की दिग्गज ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट की भारतीय तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा दिए और तेल मूल्य सीमा घटा दी। यह यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ उठाए गए नए कदमों का हिस्सा है।
रूस के खिलाफ किए गए उन उपायों में बैंकिंग और रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन पर प्रतिबंध शामिल हैं।
तेल मूल्य की कम सीमा इस समय 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल है। इसका अर्थ है कि रूस भारत जैसे खरीदारों को कम दरों पर अपना कच्चा तेल बेचने के लिए मजबूर होगा। रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार होने के नाते, भारत को इस कदम से लाभ होगा। इस समय भारत के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है।
यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, ”पहली बार, हम भारत में रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी को नामित कर रहे हैं।”
रोसनेफ्ट की नायरा एनर्जी लिमिटेड में 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसे पहले एस्सार ऑयल लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। नायरा गुजरात के वडिनार में दो करोड़ टन प्रति वर्ष की क्षमता वाली एक तेल रिफाइनरी और 6,750 से अधिक पेट्रोल पंपों का संचालन करती है।
एक निवेश समूह केसानी एंटरप्राइजेज कंपनी के पास नायरा में 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है। केसानी का स्वामित्व रूस की यूनाइटेड कैपिटल पार्टनर्स (यूसीपी) और हारा कैपिटल सार्ल के पास है।
यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का मतलब है कि नायरा यूरोपीय देशों को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन का निर्यात नहीं कर सकती।
कल्लास ने कहा, ”हमारे इरादे पक्के हैं। यूरोपीय संघ ने अभी-अभी रूस के खिलाफ अपने अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों में से एक को मंजूरी दी है।”
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ पूरी कोशिश कर रहा है कि रूस के रक्षा बजट में कटौती हो और रूसी बैंकों की वित्तपोषण तक पहुंच को सीमित किया जा रहा है।
ईयू के प्रतिबंधों में नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों पर प्रतिबंध और रूस द्वारा तेल निर्यात की कीमतों की निचली सीमा शामिल है।
इससे पहले जी7 देशों ने दिसंबर 2022 में तीसरे देशों को बेचे जाने वाले रूसी तेल पर 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा लगा दी थी। इस व्यवस्था के तहत, पश्चिमी बीमा और पोत परिवहन सेवाओं का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है, जब तेल निर्धारित मूल्य पर या उससे कम पर बेचा जाए। इसका मकसद वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में स्थिरता बनाए रखते हुए रूस के तेल राजस्व को सीमित करना था।
हालांकि, कल्लास ने नई मूल्य सीमा का उल्लेख नहीं किया, लेकिन खबरों के मुताबिक शुरुआत में इसे 45 अमेरिकी डॉलर और 50 अमेरिकी डॉलर के बीच तय किया जाएगा। इसकी बाजार की स्थितियों के आधार पर साल में कम से कम दो बार समीक्षा की जाएगी।
कम मूल्य सीमा से भारत जैसे आयातक देशों को लाभ होगा, लेकिन अगर अमेरिका रूसी तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाता है, तो हालात जटिल हो सकते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर मास्को 50 दिनों के भीतर यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करेगा, तो रूसी निर्यातकों से सामान खरीदने वाले देशों को प्रतिबंधों या भारी शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने रूस पर नये प्रतिबंध लगाए
ब्रसेल्स। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने रूस पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध खत्म करने का दबाव बढ़ाते हुए मॉस्को के ऊर्जा क्षेत्र, पुराने तेल टैंकरों के बेड़े और सैन्य खुफिया सेवा के कर्मियों को शुक्रवार को नये प्रतिबंधों से निशाना बनाया।
ईयू की विदेश नीति प्रमुख काजा कालास ने कहा, ‘‘संदेश साफ है : यूरोप यूक्रेन का समर्थन करने में पीछे नहीं हटेगा। यूरोपीय संघ तब तक दबाव बढ़ाता रहेगा, जब तक रूस अपना युद्ध समाप्त नहीं कर देता।’’
कालास की यह टिप्पणी यूरोपीय संघ के तेल की कीमतों पर नयी सीमा लागू करने सहित अन्य नये उपायों पर सहमति जताने के बाद आई।
उन्होंने कहा कि यह तीन साल से अधिक समय से जारी युद्ध के संदर्भ में ‘‘रूस के खिलाफ अब तक का सबसे कड़ा प्रतिबंध पैकेज’’ है।
यह पैकेज ऐसे समय में आया है, जब यूरोपीय देश यूक्रेन के लिए अमेरिकी हथियार खरीदना शुरू कर रहे हैं, ताकि देश अपनी सुरक्षा बेहतर ढंग से कर सके।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नये प्रतिबंधों का स्वागत किया। उन्होंने इस प्रतिबंधों को रूस के तीव्र हमलों के बीच ‘‘समय पर उठाया गया आवश्यक’’ कदम बताया।
जेलेंस्की ने कहा, ‘‘रूस की ओर से युद्ध में इस्तेमाल सभी बुनियादी ढांचे को अवरुद्ध किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन यूरोपीय संघ के साथ अपने प्रतिबंधों को समन्वयित करेगा और जल्द ही खुद के अतिरिक्त उपाय पेश करेगा।
वहीं, क्रेमलिन (रूस का राष्ट्रपति भवन) के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने यूरोपीय संघ के इस कदम को खारिज करते हुए कहा कि “हम इस तरह के एकतरफा प्रतिबंधों को गैरकानूनी मानते हैं।”
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘साथ ही, हमें प्रतिबंधों से कुछ छूट भी मिली है। हम प्रतिबंधों के बीच जीने के लिए खुद को ढाल चुके हैं। हमें नये पैकेज का विश्लेषण करना होगा, ताकि इसके नकारात्मक प्रभावों को कम से कम किया जा सके।’’
इस बीच, ब्रिटेन ने रूस की सैन्य खुफिया सेवा, जीआरयू की इकाइयों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
प्रतिबंध सूची में 18 ऐसे अधिकारियों को भी शामिल किया गया है, जिनके बारे में ब्रिटेन ने कहा कि उन्होंने 2022 में दक्षिणी यूक्रेन के एक थिएटर पर बम हमले की योजना बनाने और एक पूर्व रूसी जासूस के परिवार को निशाना बनाने में मदद की थी, जिसे बाद में एक नर्व एजेंट के साथ जहर दिया गया था।
मार्च 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के तुरंत बाद मारियुपोल के थिएटर में हुए बम हमले में वहां शरण लिए हुए सैकड़ों नागरिक मारे गए थे।