जवाबदेही और निष्पक्षता से भागता चुनाव आयोग
मुनेश त्यागी
पिछले काफी समय से भारत के चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली को लेकर विपक्षी दलों द्वारा अनेक सवाल उठाए जा रहे हैं। अधिकांश विपक्षी पार्टियों का कहना और मानना है कि भारत का चुनाव आयोग एक दल विशेष के लिए काम कर रहा है और वह ईमानदारी और निष्पक्षता से काम नहीं कर रहा है। जनता का विश्वास जीतने का काम नहीं कर रहा है।
विपक्षी नेता राहुल गांधी ने पूरे देश के सामने जो तथ्य और आंकड़े पेश किए हैं, वे बहुत गंभीर हैं और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों और तथ्यों से पता चला है कि एक छोटे से मकान में 250 वोटर कई-कई जाति और धर्म के हैं। मध्य प्रदेश में 1696 जगह 100, 100 वोट मिले हैं। कई पत्तों पर तो कोई कई कई सौ वोट निकल रहे हैं। कई छोटे-छोटे घरों में एक ही घर में विभिन्न जातियों धर्मों और संप्रदायों के लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। क्या यह सामान्य परिस्थितियों में संभव हो सकता है? अब चुनाव आयोग को लोग “चुनाव चोर” और “चुनाव गिरोह” कहने लगे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग ने 78 सीटें चोरी करके प्रधानमंत्री का पद कब्जाने में मदद की है।
यहीं पर यह तस्वीर सामने आ रही है कि विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का चुनाव आयोग द्वारा समुचित जवाब नहीं दिया जा रहा है बल्कि भारतीय जनता पार्टी के लोग सामने आकर चुनाव आयोग का बचाव कर रहे हैं और विपक्षी द्वारा दलों द्वारा उठाए गए सवालों का समुचित जवाब नहीं दे रहे हैं। यह भी देखा जा रहा है कि विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए जरूरी सवालों का जवाब न देकर, चुनाव आयोग विपक्षी दालों के कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया द्वारा सवाल उठाने वाले पत्रकारों को भी डरा धमका रहा है और उनके खिलाफ एफआईआर करने की धमकी दे रहा है।
इस सारे घटनाक्रम को देखकर यह बात साफ है कि चुनाव आयोग द्वारा विपक्षी नेता से शपथपत्र मांगना एकदम गैरकानूनी और असंवैधानिक है। चुनाव आयोग विपक्षी दलों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का जवाब न देकर, गैर जरूरी और मनमाने मुद्दे उठा रहा है और जरूरी सवालों के जवाब नहीं दे रहा है। इस प्रकार वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को नही निभा रहा है। ये समस्त परिस्थितियों दिखा रही हैं कि मतदाता सूची में गड़बड़ियां की गई हैं। गलत लोगों के नाम मतदाता सूचियां में जोड़े गए हैं और हटाएं गए हैं और गलत लोगों ने वोट डालने का काम किया है। यह सब चुनाव आयोग की चुनाव मशीनरी की मिलीभगत से किया गया है।
इन सब परिस्थितियों में यह सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है कि चुनाव आयोग जनता की चिंताओं को बिना किसी देरी के दूर करे और जनता में अपना विश्वास कायम करे और उसका भरोसा जीते। अब चुनाव आयोग की यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी हो गई है कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार में मतदाता सूचियां में सामने आई अनियमितताओं को तुरंत दूर करे और जनता का भरोसा जीतने के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह किसी भी दल विशेष का एजेंट और मोहरा बनता हुआ दिखाई न दे।
यह बात समझ में नहीं आ रही है कि चुनाव आयोग चुनाव से जुड़ी समस्त वोटर लिस्ट और वीडियो आदि को निश्चित समय सीमा तक सुरक्षित क्यों नहीं रख रहा है? वह सुनिश्चित करें कि जो कोई भी निश्चित समय सीमा के अंदर, मतदाता सूची या वीडियो आदि को देखना और लेना चाहता है, उसकी कॉपी लेना चाहता है तो उसे उनकी कापियां दी जाएं ताकि वह मत डालने की समुचित जांच करे सके।
वीडियो को हटाने या समाप्त करने की बात पूरी तरह से चुनाव आयोग के खिलाफ जा रही है। वह जनता का भरोसा तोड़कर, यह बात सही साबित कर रहा है कि चुनाव आयोग ने जरूर ही चुनावों में गड़बड़ियां और अनियमितताएं की हैं वह एक दल विशेष को अनुचित लाभ पहुंचाने की असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक, गैरकानूनी और पक्षपातपूर्ण गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है जो चुनाव आयोग की भूमिका, व्यवहार, कार्यप्रणाली, निष्पक्षता और ईमानदारी पर गंभीर और असामान्य सवाल खड़े कर रहे हैं।
लेखक ने अपनी जिंदगी में देखा है कि किस प्रकार बार के चुनावों में वोटर लिस्ट, मतदान और मतगणना में धांधलियां और बेईमानी होती थीं और यह सब बेईमान और पक्षपाती चुनाव कमेटी की वजह से होता था। इससे निजात पाने के लिए हमने ईमानदार टीम बनाकर इन परिस्थितियों का मुकाबला किया। पूरी बार के सहयोग से एक ईमानदार, निष्पक्ष और प्रतिबद्ध वकीलों की चुनाव समिति का निर्माण किया। फोटो सहित मतदाता रजिस्टर बनवाया। मतदाता सूची तैयार की और ईमानदारी पूर्ण मतदान कराया और इस मजबूत और इमानदार टीम ने मतगणना कराई जिसमें किसी भी वकील को परेशानी नहीं थी और आज भी यह ईमानदार, प्रतिबद्ध और निष्पक्ष चुनाव समिति चुनाव कराती है, जिसमें किसी वकील को किसी शिकायत या परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
हमारे देश में इन विपरीत परिस्थितियों में यह सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है कि भारत का चुनाव आयोग समस्त प्रदेशों और पूरे देश की मतदाता सूचियों को सही रूप से तैयार करने के लिए समस्त विपक्षी दलों का साथ ले। उनकी बातें सुने। उन्हें अपनी बात कहने का पूरा मौका दे और उनकी तथ्यपरक बातें सुनकर, ईमानदार और निष्पक्ष तरीके से मतदाता सूची तैयार करे और स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान और मतगणना कराए। वह किसी भी दल विशेष का सहयोगी न बने। इस समय की यही सबसे बड़ी मांग है। ऐसा करके ही चुनाव आयोग की ईमानदारी और निष्पक्षता बनी रह सकती है और ऐसा करके ही वह अपनी “एक आदमी एक वोट” डलवाने की संवैधानिक प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी को सही तरह से अंजाम दे सकता है।