डॉ राजेन्द्र गौतम का एक गीत पढ़ें- पहले हिंदी में, फिर संस्कृत में–
डॉ राजेन्द्र गौतम का गीत-जटा बढ़ाए अघोरी
जटा बढ़ाये एक अघोरी
करता मन्त्रोच्चार।
छोटे-बड़े-मझोले झोले
अगल-बगल लटकाये
सम्मोहन-मारण-उच्चाटन
जन पर रोज चलाए
नरमुण्डों से कापालिक को
बेहद-बेहद प्यार।
डाकिनियों का, शाकिनियों का
बढ़ा रहा उल्लास
भूत-पिशाचों की टोली को
रखता अपने पास
खूनी खप्पर भरने को यह
हरदम है तैयार।
काल-रात्रि का यह पूजक है
साध रहा श्मशान
भैरव और भैरवी पूजे
काँपें सब के प्राण
जाने कितनीं जानें लेगा
काला जादू मार।
अब गीत को संस्कृत में पढ़ें
जटामण्डितमघोरः स, मन्त्रं जपति धूम्रवक्त्रकः।
लघुस्थूलमध्यान् पुटकान्, वहन् वामे च दक्षिणे॥
“सम्मोहनं मारणं चोच्चाटनम्”—
इत्येतानि कर्माणि जनान् प्रति कुरुते सदा।
कपालिनं नरमुण्डैः, स हि प्रेम्णा प्रपद्यते,
डाकिनीनां शाकिनीनां, स नित्यं वर्धयन्नुत्सवम्।
भूतपिशाचसङ्घैः सह, स्वसमीपे हसितं करोति॥
रुधिरेण खप्परं पूरयन्, प्रमत्तो नृत्यति भूतराजवत्॥
कालरात्रेः स पूजकः, श्मशाने रमते निशि।
भैरवं च भैरवीं च, यजते हास्यदायकः॥
कम्पयन् सर्वलोकानां, प्राणान् भीतिप्रदान् पुनः।
कियत्प्रजान् नाशयिष्यति, कृष्टमायामयोऽघटः॥
