केरल की वामपंथी सरकार की काबिले तारीफ उपलब्धियां

केरल की वामपंथी सरकार की काबिले तारीफ उपलब्धियां

मुनेश त्यागी

पिछले नौ वर्षों में केरल की सरकार ने जन कल्याणकारी काम करके बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। नौ सालों में वहां कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है। केरल राज्य किसानों को फलों और सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाकर केरल में महंगाई की दर को पूरे भारत में सबसे कम कर दिया गया है। आर्थिक वृद्धि और सामाजिक प्रगति का रास्ता अपनाकर, देश की राज्य की जनता का कल्याण किया गया है। सामाजिक कल्याण पेंशन को 600 प्रति माह से बढ़ाकर 1600 प्रतिमाह करके, गरीबों का कल्याण किया गया है। सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाया गया है। पिछले 4 वर्षों में 70,000 करोड रुपए की मुक्त स्वास्थ्य सेवाएं जनता को मोहिया कराई गई हैं।

शिक्षा का बजट जीडीपी का 6 प्रतिशत

केरल में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया गया है। शिक्षकों और छात्रों को आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया है और वहां की सरकार ने केरल को सरकारी स्कूलों में एआई की शिक्षा देने वाला भारत का पहला राज्य बना दिया गया है। केरल में शिक्षा का बजट जीडीपी का 6% है। सरकारी स्कूलों की बेहतरीन स्थिति है। केरल में साक्षरता दर 96% है और बालिका शिक्षा में केरल देश में सर्वश्रेष्ठ है। वहां शिक्षा पाठ्यक्रम में वैज्ञानिक सोच, तर्कशक्ति को बढ़ावा दिया गया है और सामाजिक बराबरी पर जोर दिया गया है।

सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना पसंद करते हैं राज्यवासी

केरल में जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गई हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की बेहतर स्थिति है। वहां हर नागरिक को बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं। वहां पर कोविड महामारी में बेहतरीन इंतजाम किया गया जिसे वैश्विक स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहा था। अस्पतालों में आधुनिक उपकरण, मुफ्त इलाज और प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध कराए गए हैं। यह कमाल की बात है कि केरल में सरकारी अस्पताल निजी अस्पतालों से बेहतर स्थिति में हैं। वहां के लोग प्राइवेट अस्पतालों की जगह सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना ज्यादा पसंद करते हैं।

केरल के श्रमिकों को देश में सबसे ज्यादा मजदूरी

रोजगार की स्थिति वहां बेहतर हो गई है। सरकारी क्षेत्र की नौकरियां को बढ़ाया और बचाया गया है। सरकार द्वारा संविदा नियुक्तियों का विरोध किया गया है। सभी श्रमिकों और कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन से भी ज्यादा मासिक वेतन भुगतान किया गया है और पूरे देश में श्रमिकों को सबसे ज्यादा मजदूरी दी गई है। मनरेगा को जोरदार तरीके से लागू किया गया है और महिला मजदूरों को प्राथमिकता दी गई है। मजदूर संगठनों की सक्रिय भागीदारी और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा पर प्रदान की गई है।

दलित, मुस्लिम और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण

सामाजिक न्याय के क्षेत्र में केरल ने अद्भुत काम किया है। दलित, मुस्लिम और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण दिया गया है। उनकी बेहतरी की योजनाएं बनाई गई हैं। रोजगार और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। जाति धर्म से ऊपर उठकर समस्त योजनाओं का जनता को समुचित लाभ उपलब्ध करायें गये हैं। केरल में महिलाओं की सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक हलकों में सबसे अधिक भागीदारी है।

केरल में धर्म और राजनीति के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया गया है। वहां धर्म को राजनीति का नहीं, बल्कि आस्था का विषय माना गया है। सभी धर्म के त्योहारों को सांस्कृतिक सौहार्द से मनाया जाता है। सरकारी योजनाएं धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि जरूरत पर आधारित की गई हैं। वहां धर्म के आधार पर सत्ता में बने रहने के लिए धर्म को राजनीति का माध्यम नहीं बनाया गया है। केरल में भारत के संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को संविधान का बुनियादी अधिकार और सिद्धांत मानकर लागू किया गया है।

   आलोचनात्मक पत्रकारिता को सम्मान

मीडिया के क्षेत्र में केरल ने “चौथे स्तंभ” को जिंदा रखा है। वहां आलोचनात्मक पत्रकारिता को जिंदा रखा गया है, सम्मान दिया गया है और पत्रकारों से जीवित और जरुरी संवाद किया गया है। सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और लेखकों को डराया, धमकाया और बहिष्कृत नही किया गया है, उन्हें मनमाने मुकदमों का शिकार नहीं बनाया गया है। उन्हें बुलाया गया, उनसे बातचीत की गई और उनकी ज़रुरी आलोचना और सुझावों को माना गया है। फिल्म, संस्कृति और कला को जिंदा रखा गया और उन्हें राजनीति से अलग और आजाद रखा गया है।

कुटुंबश्री योजना से महिलाओं के स्वावलंबन को बढ़ावा

महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में केरल देश में बहुत आगे है। केरल महिला साक्षरता, रोजगार और राजनीतिक हिस्सेदारी में सबसे आगे है। वहां घरेलू हिंसा के खिलाफ व्यापक हेल्पलाइन नेटवर्क तैयार किया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर महिला सहायता केंद्र बनाए गए हैं। “कुटुंबश्री” जैसी महिलाएं योजनाएं शुरू करके महिलाओं के स्वावलंबन को बढ़ावा दिया गया है।

केरल में गरीबी उन्मूलन की अर्थव्यवस्था को लागू किया गया है। वहां गरीबी दर न्यूनतम है जो वर्तमान में .7% है। लाभार्थी योजनाओं की पारदर्शी डिजिटल व्यवस्था कायम की गई है। सरकारी समितियां और लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया गया है और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत की गई है।

केरल सरकार का वामपंथी मॉडल हमें दिखाता है कि जब सत्ता की राजनीति… जनसेवक, कल्याणकारी और विचारधारा मानवतावादी हो तो समाज कैसे समृद्ध, स्वस्थ, शिक्षित और न्यायपूर्ण बनाया जा सकता है। वह हमें दिखाती है कि वह तमाम मेहनतकशों के कल्याण के लिए काम करती है। वह केवल कॉर्पोरेट हितों को बढ़ाने का काम नहीं करती है। वह सर्व कल्याण की राजनीति में यकीन रखती है। वह केवल अमीरों और मुनाफाखोरों की हिट पोषक नहीं है। वह भारतीय संविधान की जनकल्याणकारी नीतियों को धरती पर उतार कर जन कल्याणकारी काम करती है और इसलिए वह दो बार सत्ता में आ चुकी है। वह जनता के लिए काम करती है। जनता उसे चुनती है और जनता उसे अपना हमदर्द मानती है, इसलिए जनता उसे लगातार वोट देकर जिताती रहती है।

हमारे देश के तमाम जनवादी, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, सर्व कल्याण की नीतियों और भारत के संविधान के बुनियादी सिद्धांतों में विश्वास करने वाले लोग, केरल की वामपंथी सरकार की जन समर्थक और जन कल्याणकारी नीतियों से काफी कुछ सीख सकते हैं और ऐसा करके ही भारत के संविधानिक मूल्यों को धरती पर उतार कर भारत के तमाम मेहनतकशों, मजदूरों और किसानों का कल्याण किया जा सकता है और उन्हें विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाया जा सकता है।

लेखक : मुनेश त्यागी

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