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विजय शंकर पांडेय की कविता – मुस्कान भी असहिष्णु हो जाएगी

कविता मुस्कान भी असहिष्णु हो जाएगी विजय शंकर पांडेय   बांग्ला सुने नहीं कि बांग्लादेशी! उर्दू बोले नहीं कि पाकिस्तानी!…

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दुनिया की शांति,सौहार्द और सार्वभौमिकता को बचाने का कलात्मक आशावाद है थियेटर ऑफ़ रेलेवंस नाट्य दर्शन !

सत्य,समग्र ,सुंदर ! दुनिया की शांति,सौहार्द और सार्वभौमिकता को बचाने का कलात्मक आशावाद है थियेटर ऑफ़ रेलेवंस नाट्य दर्शन !…

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कभी फुर्सत मिले तो सोचना !

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज   तुम स्वयं एक सम्पति हो सम्पदा हो इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में…

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मंजुल भारद्वाज की कविता – हे पुरुष !

हे पुरुष !  मंजुल भारद्वाज हे मूंछों पर ताव देने से पहले सोचो तुम कौन हो? तुम्हारे पास क्या है?…

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सरला माहेश्वरी की कविता – मैं सरकार !

अगस्त क्रांति पर विशेष देश के जनतंत्र का अपहरण करने वाली सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक़ नहीं…

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रेमण्ड नैट टर्नर की कविता – इकबालिया बयान

कविता इकबालिया बयान रेमण्ड नैट टर्नर “जब खरीद और बिक्री कानून द्वारा नियंत्रित होने लगती है, तो सबसे पहले खरीदे…