Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत ओमप्रकाश तिवारी की कविता – पतझड़ पतझड़ ओमप्रकाश तिवारी पीले पत्ते गिर रहे हैं शाखाओं से पेड़ खड़ा है विछोह से भरा दर्द को जब्त किये … Pratibimb Media11 March 202511 March 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत मनजीत मानवी की छह कविताएं मनजीत मानवी की कविताएं 1. घर का पता मैं, एक स्त्री, सृष्टि की निर्माता बरसों से पूछ रही हूँ अपने… Pratibimb Media10 March 202510 March 2025
Blogअंतरराष्ट्रीयकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत दीपक वोहरा की कविता: अशक्त/सशक्त स्त्रियाँ अशक्त/सशक्त स्त्रियाँ अशक्त स्त्रियाँ को न तो सशक्त का अर्थ पता है न अशक्त का उन्हें तो यह भी नहीं… Pratibimb Media9 March 20259 March 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांतहरियाणा मनजीत ख़ान भावङिया की हरियाणवी कविता खोटा ज़माना घणा माड़ा टेम आग्या परिवार कुमबे की इज्जत ढेर एक बुझे रोटी की दुसरा कह खा गा के… Pratibimb Media9 March 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत ओमप्रकाश तिवारी की कविताएं ओमप्रकाश तिवारी की कविताएं –वक्त सुबह कितनी देर रुकती है देखते देखते हो जाती है दोपहर फिर चुपके से… Pratibimb Media7 March 20257 March 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत ओमप्रकाश तिवारी की कविता- नफरत नफरत ओमप्रकाश तिवारी ………….. उनकी नापसंदगी मालूम नहीं कब नफरत में बदल गई घात लगाकर बैठ गया प्रतिशोध की आग… Pratibimb Media3 March 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत ओमप्रकाश तिवारी की कहानी- बैल बैल ओमप्रकाश तिवारी एक जमाना था कि यदि किसी पशुपालक की गाय बछड़े को जन्म देती थी तो जश्न मनाया… Pratibimb Media2 March 20252 March 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत ओमप्रकाश तिवारी की कहानी – करिवा सांड़ ने जिप्पी काका को मारा करिवा सांड़ ने जिप्पी काका को मारा ओमप्रकाश तिवारी गर्मी के दिन थे। दोपहर का समय था। जिप्पी काका… Pratibimb Media27 February 202527 February 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत ओमसिंह अशफाक की कविता कठौती में गंगा है! बाकी सब तो ‘चंगा’ है ! बस राजा उनका नंगा है! गंगा में उसे मिले… Pratibimb Media27 February 202527 February 2025
Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत मुनेश त्यागी की कविता – इस धोखे में मत रहना इस धोखे में मत रहना मुनेश त्यागी आंखों से पत्थर पिंघलेगा इस धोखे में मत रहना बिना लड़े इंसाफ मिलेगा … Pratibimb Media26 February 202527 February 2025