Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांतसाहित्य/पुस्तक समीक्षा

जयपाल की पांच प्रेम कविताएं

जयपाल की पांच प्रेम कविताएं 1. शिकायत   वह लिखती रही प्रेम-पत्र करती रही शिकायत जवाब भी मिलता रहा साथ…

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नफ़रत के दौर पर जयपाल की दो कविताएं

नफ़रत के दौर पर जयपाल की दो कविताएं 1 पहचान   तुम्हारे वस्त्रों से ही तय होगी अब तुम्हारी पहचान…

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ओमप्रकाश तिवारी की कविता- जंगल के फूल का कथन

कविता जंगल के फूल का कथन ओमप्रकाश तिवारी   तमाम कांटों और झाड़ियों के बीच मैं खिला था तुम्हारे लिए…

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ज्यों नावक के तीर: जयपाल की पांच कविताएं

ज्यों नावक के तीर: जयपाल की पांच कविताएं 1. प्रदूषण   बोली, भाषा, साहित्य सभ्यता, संस्कृति और इतिहास यह सच…

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आलोचना के कॉमनसेंस के प्रतिवाद में

आलोचना के कॉमनसेंस के प्रतिवाद में जगदीश्वर चतुर्वेदी हिंदी आलोचना में इन दिनों एकदम सन्नाटा है। इस सन्नाटे का प्रधान…

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जब 10 दिन तक न देसी चाय मिले …न आलू ..न रोटी 

यात्रा वृत्तांत जब 10 दिन तक न देसी चाय मिले …न आलू ..न रोटी …मसाले, दूध, दही, पनीर और घी…