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ओमप्रकाश तिवारी की कविता – पतझड़

पतझड़ ओमप्रकाश तिवारी पीले पत्ते गिर रहे हैं  शाखाओं से  पेड़ खड़ा है  विछोह से भरा  दर्द को जब्त किये …

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दीपक वोहरा की कविता: अशक्त/सशक्त स्त्रियाँ

अशक्त/सशक्त स्त्रियाँ अशक्त स्त्रियाँ को न तो सशक्त का अर्थ पता है न अशक्त का उन्हें तो यह भी नहीं…

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मनजीत ख़ान भावङिया की हरियाणवी कविता

खोटा ज़माना घणा माड़ा टेम आग्या परिवार कुमबे की इज्जत ढेर एक बुझे रोटी की दुसरा कह खा गा के…

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ओमप्रकाश तिवारी की कहानी – करिवा सांड़ ने जिप्पी काका को मारा

करिवा सांड़ ने जिप्पी काका को मारा ओमप्रकाश तिवारी   गर्मी के दिन थे। दोपहर का समय था। जिप्पी काका…

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मुनेश त्यागी की कविता – इस धोखे में मत रहना 

 इस धोखे में मत रहना मुनेश त्यागी आंखों से पत्थर पिंघलेगा  इस धोखे में मत रहना  बिना लड़े इंसाफ मिलेगा …