यात्रा वृत्तांत
नीला समंदर, सफेद रेत और विदेशी बालाएं
संजय श्रीवास्तव
नीला समंदर. सफेद बालू वाली साफसुथरा बीच. वियतनाम के इस खूबसूरत तितोव बीच पर विदेशी सैलानियों की भीड़ टूटी पड़ी है. गोवा वाले अंदाज में बालू पर वो उठते-बैठते और लेटे नजर आएंगे. ये बीच आजकल वियतनाम का हॉट समुद्री किनारा बन गया. कभी गोवा की ओर रुख करने वाले पर्यटक अब थाईलैंड और वियतनाम का रुख करने लगे हैं. विदेशी बालाएं समुद्र की सफेद साफसुथरी रेत पर सूर्यस्नान करती हुईं साम्यवादी देश को अपने डॉलर और यूरो की खनक से खनका रही हैं.
हमारे क्रूज का नाम था पियांग हाय 86. जिस पर हमें समुद्र और इसके बीच के द्वीपों पर करीब 6.30 घंटे गुजारने थे. हॉलांग बे आमतौर पर शांत समुद्र कहा जाता है. यहां लहरें उस जंगली अंदाज में कूदते फांदते नहीं हरहराती हैं, जैसे आमतौर पर समुद्र के किनारों पर होता है. लहरें हल्की. क्रूज की मंथर गति. छोटे – बड़े करीब 2000 लाइम स्टोन द्वीपों की श्रृंखलाएं.
इस दो मंजिले क्रूज की ऊपरी मंजिल के फ्लोर पर पार्टी लांज. कुर्सियां और आराम कुर्सियां. इस पर शाम को टी-वाइन पार्टी भी हुई. वाइन की बोतलें खुलीं. अपन ने तो भाई बिस्कुट और रिफ्रेशमेंट के साथ बस दो लेमन टी से काम चला लिया. सभी ने अच्छे संगीत और लालिमा के साथ डूबते सूरज का आनंद लिया. समंदर में उगे पहाड़ों के खंडों के बीच डूबते सूरज को निहारने और उसे अस्ताचल की ओर विदा होते देखने का आनंद भी अलग ही होता है. हालांकि उसके बाद जब वहां धीरे धीरे अंधेरा चादर फैलाने लगता है तो वो समय अंदर कहीं नैराश्य और उदासी का भाव भी देता है. रात के बियाबान में समुद्र और उसके पहाड़ ही आपस में फिर मौन होकर एक दूसरे को पढ़ते होंगे. दिन भर का उत्साह और गर्मजोशी तो सूरज के साथ रफूचक्कर हो जाती है.
चलिए शुरुआत से शुरू करता हूं. जब हमारा क्रूज हमें लेकर चला तो आधें घंटे के बाद उसका पड़ाव पड़ा लूना केव्स द्वीप पर. जहां एक ओर बंबू बोट्स खड़ी थीं. जिन्हें चप्पू से चलाने का काम महिलाएं ज्यादा करती हैं. एक बोट पर करीब 12 लोग बैठ सकते हैं. अगर समुद्र में ज्वार भाटे और बरसात की स्थिति ठीक है तो समुद्र के पानी का जलस्तर कम हो जाता है और तब कई पहाड़ियों के नीचे बनी हुईं सुरंगे खुल जाती हैं. इन टनल्स की छतें काफी नीचे होती हैं. जब इसके नीचे से गुजरते हैं तो सिर टकराने का डर भी रहता है.
ये ऐसी प्राकृतिक टनल है, जो समुद्र के पानी ने हजारों सालों में चट्टान को काटकर बनाया होगा. लगभग 100 मीटर लंबी और 3 मीटर ऊंची. बीच में बस एक छोटी सी जगह है जहां से नावें अंदर-बाहर जा सकती हैं. रास्ते में इन नावों पर बहुत से ग्रुप दिखते हैं. खासकर जब वियतनामी ग्रुप में नजर आते हैं तो वो पूरी मस्ती करते हुए अपने लोकगीत गाते हुए बगल से गुजरते हैं, हाथ हिलाते हैं, मुस्कुराते हैं.
दूसरा पड़ाव था सुंग सॉट केव, इसको सरप्राइज केव भी कहते हैं, क्योंकि ये किसी हैरानी से कम नहीं है. समुद्र के बीचों बीच एक पहाड़ी ने अपने पेट में इतनी बड़ी गोलाकार विकराल गुफा बना दी कि पूरा फुटबॉल का मैदान ही बन जाए. इसमें 300 से ज्यादा सीढ़ियां हैं. पहले चढ़ना होता है. लगता है कि ये कहां फंस गए. फिर गुफा के संकरे से दरवाजे से अंदर दाखिल होने का तिलस्मी दरवाजा सा नजर आता है. अंदर इस गुफा के साथ ए़डस्ट करके रास्ता और सीढ़ियां बनाई गईं. जिसमें एक ओर से घुसते हैं और दूसरी ओर से निकलते हैं. अंदर उमस है, अंधेरा है, नमी है, हवा कहीं कहीं कम हो जाती है. लेकिन ये गुफा दुनिया में एक अजूबा ही है. दुनिया की सबसे प्रभावशाली प्राकृतिक समुद्री गुफाओं में एक. ये गुफा दो चैंबर में बंटी है. कुल क्षेत्रफल 10,000 वर्ग मीटर यानि एक हेक्टेयर से ज्यादा.
गुफा के अंदर हजारों स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स हैं, यानी ऊपर से लटके और नीचे से उगे हुए चूने के पत्थर के स्तंभ, जो प्रकाश में जादू जैसे लगते हैं. हालांकि इसे साफ्ट लाइटिंग सिस्टम से भी सजाया गया है. कई प्रतिमाएं प्राकृतिक तौर पर बनी लगती हैं, जो बैठे हुए बुद्ध, कछुआ, हाथी का सिर का अहसास देते हैं. और एक पत्थर की आकृति ऐसी लगती है, जिसमें राजा को अपनी सेना को संबोधित करते हुए लगता है. ये पूरा हॉलांग बे यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट लिस्ट में आता है और उसमें सबसे प्रमुख आकर्षण है ये गुफा. इस गुफा को देखते हुए थाईलैंड की गुफा में कई दिनों तक फंसे कई फुटबॉल खेलने वाले स्कूली बच्चे याद आने लगे. एकसाथ उस गुफा में कम से 200 से ज्यादा सैलानी को रहते ही हैं.ये हॉलांग बे की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित गुफा है. हर साल करीब 10 लाख से ज्यादा पर्यटक इसे देखने आते हैं.
तो बेंबू बोट्स से समुद्री सुरंग के नीचे से निकलना. फुटबाल के मैदान जितनी बड़ी समुद्री गुफा में पेट में नीचे पाताल तक जाना और फिर ऊपर आना… साथ में खूबसूरत बीच का आनंद…अब एक दिन में इससे ही ज्यादा क्या चाहिए था. पैसा वसूल. हालांकि लौटते हुए क्रूज के साथ पीछे छूटता समंदर, अंधेरे का छाना और लाइम स्टोन के पहाड़ों का रातभऱ के लिए अपनी ही तनखाइयों में खो जाने का अहसास भी कहीं ना कहीं हो ही रहा था.
संजय श्रीवास्तव की फेसबुक वॉल से साभार