भाजपा ने फिर चौंकाया, पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा होंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री

  • दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा उप मुख्यमंत्री पद संभालेंगे

आलोक वर्मा

भाजपा नेतृत्व और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीत कर तो चौंकाया ही, लेकिन सबसे अधिक चौंकाया मुख्यमंत्रियों के चयन में। राजस्थान में तो पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया है। यह संभवतः पहली बार हुआ है कि ऐसा कोई व्यक्ति पहली बार विधायक चुने गया हो वह मुख्यमंत्री बन जाए।
लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराए गये। उसमें से हिंदी भाषी तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने विजय का परचम लहराया। इन तीनों राज्यों में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल के फूल के नाम पर चुनाव लड़ा था।
पहले हम राजस्थान की बात कर लेते हैं। यहां पर मंगलवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चयन कर लिया गया। पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद पर सर्वसम्मति से चुन लिया गया। उनके नाम का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्र वसुंधरा राजे ने पेश किया। भजन लाल शर्मा मूल रूप से भरतपुर के रहने वाले हैं। वे राज्य भाजपा में महासचिव पद पर थे। उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री होंगे दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा।

राजस्थान में चुनाव से पहले ही साफ हो गया था कि अगर भाजपा जीतती है तो वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा, क्योंकि पिछली बार की तरह उनके नाम पर चुनाव नहीं लड़ा गया था। दरअसल मध्य प्रदेश में चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में तीन बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे को पहले ही दरकिनार करने की कोशिश की गई। जनसभाओं में साथ में मंच पर रहने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी उन दोनों का नाम तक नहीं ले रहे थे। लेकिन जब दोनों ने अप्रत्यक्ष तौर पर प्रतिवाद किया तो बाद में उनको तवज्जो मिली। फिर जिसकी आशंका थी वही हुआ। मुख्यमंत्री पद पर चौंकाने वाले नाम तय किए गए।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का चयन रविवार को किया गया। वहां पर आदिवासी और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रहे विष्णुदेव साय को कमान सौंपी गई। इसके बाद सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए डा. मोहन यादव का चयन किया गया। वह उज्जैन दक्षिण से तीसरी बार विधायक बने थे। वह पिछली शिवराज की सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि के मोहन यादव ने अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत छात्रसंघ चुनाव से की थी। अभाविप से होते हुए वे भाजपा तक पहुंचे।

चयन के पीछे के कारण
भजनलाल शर्मा राजस्थान में ब्राह्मण चेहरा हैं और माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए ब्राह्मणों को खुश करने की पार्टी की योजना है। कहा जा रहा है कि पार्टी में चल रही गुटबाजी को रोकने के लिए भजनलाल शर्मा को चुना गया है। भाजपा ने शुरू से कार्यकर्ता स्तर के व्यक्ति को मुख्यमंत्री चुनकर पार्टी ने राजस्थान में बड़ा संदेश दिया है।
भाजपा में मुख्यमंत्री कोई भी रहे भजनलाल शर्मा हमेशा बड़े पदाधिकारी रहे और कभी भी उनका किसी से भी बैर नहीं हुआ।

अंत में एक बात और कहना चाहूंगा कि लोकसभा चुनाव के दौरान पूरी ताकत और सत्ता को अपने में समेटे रखने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने इस तरह का फैसला लिया है। तीनों राज्यों में अब मोदी-अमित शाह और नड्डा की चलेगी। लेकिन यह फैसला भाजपा के लिए मुश्किलें भी पैदा कर सकता है। शिवराज सिंह चौहान अगर मध्य प्रदेश में विरोध करेंगे तो आगामी लोकसभा चुनाव में पिछली बार की तरह सीटें आनी मुश्किल होगी। इसी तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का अपना जनाधार है और अगर वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोध करेंगे तो यहां भी भाजपा के लिए मुश्किल होगी।