श्रम संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित

श्रम संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित

नयी दिल्ली। देश में 10 केंद्रीय श्रम संगठनों के एक मंच की बुधवार को देशभर में आहूत हड़ताल से डाक, बैंकिंग, बिजली, सार्वजनिक परिवहन समेत कई अन्य सेवाएं प्रभावित हुईं।

मंच ने दावा किया है कि अन्य मुद्दों के साथ-साथ नयी श्रम संहिताओं के विरोध में 25 करोड़ श्रमिकों को ‘‘आम हड़ताल’’ के लिए लामबंद किया जा रहा है।

अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने मीडिया को बताया कि बुधवार सुबह देशभर में आम हड़ताल शुरू हो गई। उन्हें पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से हड़ताल की खबर और तस्वीरें मिली हैं।

उन्होंने कहा कि हड़ताल से बैंकिंग, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित होंगी। इससे तांबा और कोयला खनन प्रभावित होगा, जबकि कई राज्यों में सार्वजनिक परिवहन पर भी इसका असर पड़ेगा।

कौर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसान संगठन भी अपने क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

श्रम संगठनों की मांगों में चार श्रम संहिताओं को खत्म करना, ठेका प्रणाली समाप्त करना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद करना तथा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करना शामिल है।

इसके अलावा किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के सूत्र के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों के लिए ऋण माफी की मांग भी कर रहे हैं।

दावा- श्रम संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, आवश्यक सेवाओं पर अधिक असर नहीं

केरल, झारखंड और पुडुचेरी में हड़ताल से कुछ चुनिंदा सेवाएं प्रभावित होने की खबरे हैं।

श्रम संगठनों ने दावा किया है कि अन्य मुद्दों के साथ-साथ नयी श्रम संहिताओं के विरोध में 25 करोड़ श्रमिकों को ‘‘आम हड़ताल’’ के लिए लामबंद किया जा रहा है।

अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने बुधवार सुबह ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि बुधवार सुबह देशभर में आम हड़ताल शुरू हो गई। उन्हें पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से हड़ताल की खबर और तस्वीरें मिली हैं।

उन्होंने कहा कि हड़ताल से बैंकिंग, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित होंगी। इससे तांबा और कोयला खनन प्रभावित होगा, जबकि कई राज्यों में सार्वजनिक परिवहन पर भी इसका असर पड़ेगा।

श्रम संगठनों की मांगों में चार श्रम संहिताओं को खत्म करना, ठेका प्रणाली समाप्त करना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद करना तथा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करना शामिल है।

इसके अलावा किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के सूत्र के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों के लिए ऋण माफी की मांग भी कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की है कि हड़ताल के दौरान सामान्य जनजीवन प्रभावित न हो।

राज्य के कुछ हिस्सों में सड़कों व ट्रेनों को अवरुद्ध करने के प्रयास किए गए, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने सामान्य जनजीवन सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा एवं परिवहन के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं।

पुडुचेरी में हड़ताल के कारण निजी बसें, ऑटो और टेम्पो सड़कों से नदारद रहे।

सूत्रों ने बताया कि एहतियात के तौर पर निजी स्कूलों के प्रबंधन ने छुट्टी घोषित कर दी है। दुकानें, प्रतिष्ठान, सब्जी और मछली बाजार भी बंद रहे।

मध्यप्रदेश की 8,700 बैंक शाखाओं में काम-काज ठप

इंदौर। राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान मध्यप्रदेश में करीब 8,700 बैंक शाखाओं में काम-काज ठप रहा और इससे अलग-अलग बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं। बैंक कर्मचारियों के एक संगठन ने यह जानकारी दी।

‘मध्यप्रदेश बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन’ (एमपीबीईए) के अध्यक्ष मोहनकृष्ण शुक्ला ने मीडिया को बताया, ‘‘सूबे की लगभग 8,700 बैंक शाखाओं के करीब 40,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। इनमें 11 सरकारी बैंक और कुछ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) के कर्मचारी शामिल हैं।’’

उन्होंने बताया कि हड़ताल से इन बैंक शाखाओं में धन जमा करने और निकालने के साथ चेक निपटान, सावधि जमा (एफडी) योजनाओं का नवीनीकरण, सरकारी खजाने से जुड़े काम और अन्य नियमित कार्य प्रभावित हुए।

शुक्ला ने मांग की कि सरकारी बैंक के निजीकरण और विनिवेश की प्रक्रिया बंद की जानी चाहिए और बैंक कर्मचारियों के बड़ी संख्या में खाली पदों पर तुरंत भर्ती की जानी चाहिए।

ओडिशा में परिवहन व्यवस्था बाधित

भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में श्रमिक संगठनों और वाहन चालकों की हड़ताल के कारण बुधवार को परिवहन व्यवस्था प्रभावित रही।

विपक्षी कांग्रेस और बीजू जनता दल (बीजद) ने श्रमिक संगठनों के विरोध को समर्थन दिया है।

इसी तरह बस, टैक्सी और ट्रक सहित विभिन्न परिवहन वाहनों के चालकों ने राज्य में चालकों के लिए कल्याणकारी उपायों की मांग को लेकर मंगलवार सुबह से ही काम बंद कर दिया।

प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रकट किया और भुवनेश्वर, कटक, बरगढ़, भद्रक, बालासोर, बोलांगीर और संबलपुर में राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कई सड़कों को जाम कर दिया।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि श्रमिक संगठनों और हजारों चालकों के विरोध प्रदर्शन के कारण राज्य में परिवहन व्यवस्था प्रभावित है।

प्रमुख सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रदर्शनकारियों के धरना देने के कारण सड़कों पर वाहनों की कतार लग गई। प्रदर्शनकारियों को भुवनेश्वर स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर विरोध-प्रदर्शन करते देखा गया।

राज्यभर में बस यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

झारखंड : कोयला और बैंकिंग क्षेत्र प्रभावित होने का दावा

रांची। झारखंड में श्रमिक संघों ने दावा किया कि चार नयी श्रम संहिताओं सहित केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुधवार को बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल से राज्य में कोयला, बैंकिंग और अन्य क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।

इस हड़ताल को झारखंड में श्रमिक संघों और वाम दलों, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे दलों का समर्थन प्राप्त है।

श्रमिक संघों के नेताओं ने दावा किया कि झारखंड स्थित खदानों में कोयले का उत्पादन, लदान और परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ है क्योंकि कोयला खनिक हड़ताल पर हैं।

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड्स (ईसीएल) के अधिकारियों ने हालांकि दावा किया कि हड़ताल का कोई बड़ा असर नहीं हुआ है।

राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ब्रजेन्द्र प्रसाद सिंह ने दावा किया कि हड़ताल सफल रही, क्योंकि खनन, बैंकिंग और बीमा सहित अन्य क्षेत्रों के श्रमिक हड़ताल पर हैं।

बैंक ऑफ इंडिया एम्प्लाइज यूनियन की झारखंड इकाई के उप महासचिव उमेश दास ने दावा किया कि भारतीय स्टेट बैंक और निजी बैंकों को छोड़कर सभी बैंकों में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहीं।

रांची में विभिन्न श्रमिक संघों और राजनीतिक दलों जैसे वाम, झामुमो, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से दो रैलियां निकालीं। ये रैलियां चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने सहित उनकी 17 सूत्री मांगों के समर्थन में निकाली गईं।

रैली सैनिक मार्केट और कचहरी से निकाली गईं और अल्बर्ट एक्का चौक पर एक जनसभा के साथ समाप्त हुईं।

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की झारखंड इकाई के महासचिव सुवेन्दु सेन ने कहा, ‘‘चार श्रम संहिताएं श्रमिकों की सुरक्षा को कमजोर करके और सामाजिक सुरक्षा लाभों को कम करके उनका शोषण करने के लिए बनाई गई हैं।’’

हालांकि, राज्य की राजधानी की सड़कों और बाजारों में हड़ताल का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। सार्वजनिक परिवहन भी अप्रभावित रहा।

हजारीबाग में बंद समर्थकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-33 को जोड़ने वाले जिला परिषद चौक को कुछ समय के लिए जाम कर दिया, लेकिन बाद में पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया।

श्रमिक संघों के नेताओं ने दावा किया कि चरही इलाके में कोयला उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हालांकि, हज़ारीबाग प्रशासन ने दावा किया कि हड़ताल का कोयला उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है।

बंद समर्थकों ने पलामू जिले में कई स्थानों पर सड़कों पर यातायात को बाधित करने की कोशिश कीं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि हड़ताल का आह्वान केंद्र सरकार की ‘‘मजदूर विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मांगों में चार श्रम संहिताओं को रद्द करना, ठेकाकरण, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करना, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना आदि शामिल हैं।’’

असम में श्रमिकों ने किया प्रदर्शन

गुवाहाटी। केंद्र सरकार की कथित “मजदूर विरोधी” नीतियों के खिलाफ विभिन्न श्रमिक संगठनों द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में बुधवार को असम में कई संगठनों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान राज्य भर में वाणिज्यिक वाहन सड़कों से दूर रहे।

राज्य में लगभग सभी परिवहन मजदूर संगठनों ने हड़ताल को समर्थन दिया जिसके चलते बसों और ट्रकों की वाणिज्यिक सेवाएं ठप रहीं। हालांकि, स्कूल बसों और आपात सेवाओं में लगे वाहनों की आवाजाही प्रभावित नहीं हुई।

हड़ताल का समर्थन करने वाले संगठनों में ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट फेडरेशन, नॉर्थ ईस्ट पेट्रोलियम मजदूर यूनियन, ऑल असम मोटर वर्कर्स यूनाइटेड फोरम, ऑल असम डे-नाइट बस ड्राइवर्स एसोसिएशन, ऑल असम कैब ऑपरेटर्स यूनियन और नॉर्थ ईस्ट हेवी गुड्स कैरियर ट्रक ओनर्स एंड ड्राइवर्स वेलफेयर एसोसिएशन शामिल हैं।

गुवाहाटी में स्थानीय बसें और ऐप-आधारित टैक्सियां भी बंद रहीं जिससे आम यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

बिजली भवन के सामने राज्य की बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने “मजदूर विरोधी कानूनों” को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “वर्तमान सरकार कई राज्यों में बिजली कंपनियों का निजीकरण कर रही है। यह क्षेत्र आम जनता के कल्याण के लिए है, इसे केवल राजस्व संग्रह का माध्यम नहीं बनाया जा सकता।”

डिब्रूगढ़ समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई श्रमिक संगठनों के सदस्यों ने भी प्रदर्शन किए।

चाय बागानों के श्रमिकों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया और दैनिक मजदूरी 351 रुपये करने तथा कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की मांग की।