असम में एफआईआर: न्यायालय ने सिद्धार्थ वरदराजन एवं अन्य को दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘द वायर’ के सलाहकार संपादक सहित अन्य पत्रकारों को एक समाचार लेख को लेकर असम में उनके खिलाफ दर्ज मामलों में उन्हें दंडात्मक कार्रवाई से दिया गया संरक्षण सोमवार को बढ़ा दिया।
वरदराजन और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ को बताया कि उन्होंने असम पुलिस को पत्र लिखा है, लेकिन उसका जवाब नहीं मिला है। इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से दिये गये संरक्षण को बढ़ा दिया।
शीर्ष अदालत ने रामकृष्णन की दलीलें रिकॉर्ड में दर्ज करने के बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)-2023 के तहत राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली मुख्य याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का अनुरोध किया।
विशिष्ट सेवा पदक विजेता (सेवानिवृत्त) मेजर जनरल एस जी वोम्बटकेरे ने बीएनएस की धारा 152 (राजद्रोह) की वैधता के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत ने मेहता को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी।
न्यायालय ने असम पुलिस को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक लेख के संबंध में वरदराजन और अन्य के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से 22 अगस्त को रोक दिया था।
शीर्ष अदालत ने पत्रकारों का बचाव करते हुए कहा कि सभी से कानून का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। न्यायालय ने वस्तुस्थिति रिपोर्ट तलब करते हुए पत्रकारों को जांच में शामिल होने को कहा।
‘‘फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म’’ और वरदराजन के खिलाफ 11 जुलाई को असम के मोरीगांव पुलिस थाने में बीएनएस की धारा 152 और अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
इसी तरह, उनके खिलाफ एक समाचार लेख के लिए गुवाहाटी पुलिस थाने में राजद्रोह और बीएनएस की अन्य धाराओं के तहत एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
शीर्ष अदालत ने फाउंडेशन के सदस्यों और वरदराजन को मामले की जांच में सहयोग करने को कहा था।
वरदराजन पर ऑनलाइन समाचार पोर्टल द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक लेख प्रकाशित करने के बाद मामला दर्ज किया गया था। भारत ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के प्रतिशोध में मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया था।