व्यंग्य
जी का जंजाल
अजय शुक्ल
“ए जी!”
“हां जी…”
“गया जीजी चलोगे?”
” सीधे बोलो न गया जी…यह जीजी जीजाजी क्या होता है?”
“पता नहीं तुमको? गया जी के आगे एक और जी जुड़ गया है! अब अगर हम इस एक्स्ट्रा जी को नहीं लगाएंगे तो यह गयाद्रोह हो जाएगा। पुरखे भी गुस्सा हो जाएंगे। मैं तो रिस्क नहीं ले सकती। तो अब से गया जीजी। मेरा मायका भी तो है! क्या बात है!!गया जीजी, वाह!!!”
“ज़रा अपने भाई को फ़ोन लगाओ। देखें कि भोपट क्या बताता है…”
“सवेरे ही उसका फोन आया था। बोला जीजी गया जीजी आ जाओ। कह रहा था कि जी लगते ही गया जीजी में सब अच्छा हो गया है। फल्गु में पानी बहने लगा है…शहर का कचरा साफ हो गया है…अतिक्रमण खत्म हो गया है…सड़कें चौड़ी हो गई हैं…और मोबाइल कनेक्टिविटी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है…अब दूर गांव में बसे लोगों को फ़ोन करने के लिए पेड़ों की फुनगी तक नहीं चढ़ना पड़ता…भैंस पर बैठे बैठे ही 5 जी की कनेक्टिविटी मिल जाती है।”
“यह तो बड़ा अच्छा हुआ। मुझे तो लगता है कि यह जी अंग्रेजी वाला G है। G यानी ग्रेट। सो, दे आर मेकिंग गया जी ग्रेट अगेन। जय हो जी। जय हो गया जी, सॉरी गया जीजी।”
“शहर के नाम के आगे जी जोड़ने की क्या शर्ते यानी क्राइटेरिया है? कुछ बता रहा था भाेपट?”
“वह तो कुछ नहीं बोला। पर मुझे लगता है कि जी के ज़रिए गयासुर का सम्मान किया गया है।”
“गयासुर? वहां ससुर तो हैं मेरे लेकिन यह गयासुर कहां से आ गया?”
“येल्लेव! यह भी नहीं जानते? अरे, मेरे मायके का राजा था गया। वह असुर था। इसलिए गयासुर। अब उसकी कहानी न पूछने लगना। जानना हो तो भागवत पुराण या वायु पुराण पढ़ लेना।”
“तो इसका मतलब हुआ कि जो नगर असुरों के बसाए हैं उनके नाम पर जी जोड़ सकते हैं! क्यों?”
“तुम्हारी चवन्नीचाप कल्पनाशीलता की बलिहारी! वैसे यह ख्याल तुम्हारे दिमाग में आया कैसे?”
“अपने शहर मेरठ के उद्धार के लिए। वह भी तो असुर नगरी है। मेरठ यानी मयराष्ट्र। मय नामक असुर की बसाई नगरी। मंदोदरी तो वहीं की थी। सोचता हूं कि मेरठ को भी जी मिल जाए तो गंदा नाला और शहर के जाम से छुटकारा मिल जाए।”
“इस तरह तो न जाने कितने शहर जी का दावा कर देंगे और सरकार के लिए जी का यह खेला जी का जंजाल बन जाएगा। अभी जालंधर वाले हल्ला मचा देंगे…फिर मैसूर वाले भी!”
“कोई फ़ायदा नहीं होगा।”
“क्यों? क्या सारे असुर बराबर नहीं?”
“होते होंगे।”
“फिर बाकी को जी टैग क्यों नहीं मिलेगा?”
“क्योंकि वहां चुनाव नहीं हो रहे।”
_—–_