एआई डीपफेक लोकतंत्र और लोगों की पहचान के लिए खतरा

‘व्यक्तित्व अधिकार’ हो सकता मददगार

आपकी आवाज की कीमत कितनी है? यह लगभग 100 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर जितनी हो सकती है। हाल ही में एबीसी न्यूज वेरिफाई ने संघीय सीनेटर जैकी लैम्बी की आवाज की उनकी अनुमति लेकर क्लोनिंग की और इसपर इतनी ही राशि खर्च की और इसके लिए आसानी से सुलभ एक ऑनलाइन मंच का इस्तेमाल किया।

यह उदाहरण यह रेखांकित करता है कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ऐप्स, जो डीपफेक या वॉयस क्लोनिंग के रूप में किसी व्यक्ति की छवि और/या आवाज की कृत्रिम प्रतिकृति बनाते हैं, सस्ते और उपयोग में आसान होते जा रहे हैं।

इससे न केवल लोकतंत्र की कार्यप्रणाली (विशेषकर चुनावों के समय) को गंभीर खतरा पैदा होता है, बल्कि व्यक्ति की पहचान को भी खतरा होता है।

ऑस्ट्रेलिया में अगर किसी व्यक्ति की छवि या आवाज को उनकी अनुमति के बिना डिजिटल रूप से क्लोन किया जाता है तो उनकी सुरक्षा के लिए कानून अपर्याप्त है। ऐसे में ‘‘व्यक्तित्व अधिकार’’ स्थापित करने से मदद मिल सकती है।

फर्जी की पहचान करना मुश्किल

डीपफेक प्रौद्योगिकी ऐसी सामग्री तैयार करने में सक्षम है जो अति वास्तविक प्रतीत होती है।

इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि क्या नकली है और क्या नहीं। दरअसल, कई लोग जिनके लिए एबीसी ने सीनेटर लैम्बी की आवाज का क्लोन चलाया, उन्हें शुरू में पता ही नहीं चला कि यह नकली है।

इससे पता चलता है कि अनधिकृत डीपफेक और वॉयस क्लोनिंग का इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने के लिए आसानी से किया जा सकता है। ये लोगों के लिए बेहद नुकसानदेह भी हो सकते हैं।

यह आशंका 2020 में तब प्रमुखता से सामने आई, जब ऑस्ट्रेलिया का पहला राजनीतिक डीपफेक वीडियो जारी किया गया। इसमें क्वींसलैंड की तत्कालीन प्रधानमंत्री एनास्तेसिया पलास्ज़ुक ने दावा किया था कि राज्य ‘‘पस्त’’ हो रहा है और ‘‘भारी कर्ज’’ में डूबा हुआ है।

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर लगभग 10 लाख बार देखा गया।

ये किन कानूनों के दायरे में आते हैं?

ऑस्ट्रेलिया में, मानहानि, निजता, छवि-आधारित दुरुपयोग कानून, पासिंग ऑफ और उपभोक्ता संरक्षण कानून डीपफेक वीडियो या ऑडियो क्लिप से जुड़ी स्थितियों पर लागू हो सकते हैं। आप ई-सेफ्टी कमिश्नर के पास शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

सैद्धांतिक रूप से कॉपीराइट कानून किसी व्यक्ति की छवि और आवाज की भी रक्षा कर सकता है। हालांकि, इसका इनका उपयोग अधिक जटिल है।

नैतिक अधिकार – जिसमें श्रेय देने का अधिकार (कलाकार के रूप में श्रेय दिया जाना), गलत श्रेय के विरुद्ध अधिकार और ईमानदारी का अधिकार शामिल है – का दायरा भी सीमित है। वे मूल ऑडियो क्लिप पर लागू हो सकते हैं, लेकिन डीपफेक पर नहीं।

व्यक्तित्व अधिकार’ क्या हैं?

अमेरिका के अधिकांश न्यायक्षेत्रों में, ऐसे अधिकार मौजूद हैं जिन्हें आम तौर पर ‘व्यक्तित्व अधिकार’ के रूप में जाना जाता है। इन अधिकारों में प्रचार का अधिकार शामिल है, जो यह स्वीकार करता है कि किसी व्यक्ति का नाम, पसंद, आवाज और अन्य विशेषताएं व्यावसायिक रूप से मूल्यवान हैं।

बेट्टे मिडलर और जॉनी कार्सन जैसी मशहूर हस्तियों ने बिना अनुमति के अपनी पहचान के तत्वों का वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने वाली कंपनियों को रोकने के लिए इस अधिकार का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है।

हालांकि, व्यक्तित्व अधिकार हमेशा एआई जनित क्लोन ऑडियो पर लागू नहीं हो सकते। कुछ वकीलों की दलील है कि केवल वास्तविक रिकॉर्ड की गई आवाजें ही संरक्षित करने योग्य हैं, न कि आवाजों के क्लोन।

इसके कारण टेनेसी जैसे राज्यों ने विशेष रूप से एआई जनित सामग्री से जुड़े मामलों से निपटने के लिए कानून पेश किया है। 2024 में पेश किया गया पसंद , आवाज और छवि सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला अधिनियम, एआई का इस्तेमाल कर किसी व्यक्ति की आवाज के दुरुपयोग के मामलों से जुड़ा है।

तत्काल कदम उठाने की जरूरत

इस बात पर लंबे समय से विद्वानों में बहस चल रही है कि क्या ऑस्ट्रेलिया को वैधानिक प्रचार अधिकार लागू करना चाहिए।

चुनौतियों में से एक यह है कि इनमें पहले से मौजूदा कानूनों, जैसे कि आस्ट्रेलियाई उपभोक्ता कानून और ‘टोर्ट लॉ’, के साथ टकराव तो नहीं होगा। नीति निर्माता नया अधिकार लागू करने में हिचकिचा सकते हैं, क्योंकि कानून के अन्य क्षेत्र आंशिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। एक और चुनौती यह है कि अगर विदेशों में एआई जनित डीपफेक बनाया जाता है तो इन अधिकारों को कैसे लागू किया जाए।

अमेरिका में वर्तमान में ‘‘नो फेक्स बिल’’ पर बहस चल रही है और ऑस्ट्रेलिया भी ऐसा ही कानून लाने पर विचार कर सकता है। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यह लोगों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के माध्यम से अपनी तस्वीर और आवाज की रक्षा करने की अनुमति मिलेगी।

डीपफेक की समस्या आम होती जा रही है और अब चुनावों के दौरान व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल हो रहा है। इस वजह से, यह महत्वपूर्ण है कि इस साल के संघीय चुनाव से पहले ऑस्ट्रेलियाई लोग इनसे सतर्क रहें।