बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस पर सभा और प्रदर्शन कर अर्पित की पुष्पांजलि
जनसंघर्ष मंच हरियाणा ने कुरुक्षेत्र में किया आयोजन
कुरूक्षेत्र । बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के 70वें निर्वाण दिवस पर उनकी याद में जन संघर्ष मंच हरियाणा की ओर से कीर्ति नगर व गांधी नगर,कुरुक्षेत्र में सभा व प्रदर्शन किया गया। मंच की प्रांतीय महासचिव सुदेश कुमारी, वरिष्ठ नेत्री चन्द्र रेखा, ऊषा कुमारी व अन्यों ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को अपनी पुष्पांजलि अर्पित की।
मंच की वरिष्ठ नेता चन्द्र रेखा ने बताया कि डा० भीमराव अम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ और आज 6 दिसम्बर उनका निधन दिवस है। अम्बेडकर जी बहुत प्रतिभाशाली व एक उच्च कोटि के विद्वान थे। उन्होंने लंदन,अमेरिका जाकर उच्च स्तरीय पढ़ाई की। वे भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष बने। अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र व कानून में जितनी डिग्रियां अम्बेडकर जी के पास थी उतनी उस वक्त भारत के किसी भी राजनेता के पास नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने अपने जीवन में अस्पृश्यता, वर्ण व्यवस्था का भारी दंश झेला। सामाजिक भेदभाव , छुआछूत अपमान की जो यातनाएं भीमराव अंबेडकर जी को अपने जीवन में सहनी पड़ी थी उस कारण उन्होंने वर्ण व्यवस्था , जातिवाद के खिलाफ कठोर संघर्ष किया। उन्होंने अनुसूचित जातियों, जनजातियों, गरीबों, महिलाओं का आह्वान किया था कि वे शिक्षित बनों,संगठित रहो और संघर्ष करो। उन्होंने मीठे पानी के तालाब से अछूतों को पानी लेने का अधिकार व अन्य कई अधिकार दिलवाये।
सुदेश कुमारी ने बताया कि डॉ अम्बेडकर जी ने मनुष्य जाति में सामाजिक ऊंच नीच कायम रखने वाली हिंदू धर्म की ब्राह्मण , क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र वर्ण वाली वर्ण व्यवस्था ,छुआछूत,जातिवाद की विचार धारा का संगठित विरोध किया। 25 दिसंबर, 1927 को महाड सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान हिंदू धर्म के ग्रन्थ मनुस्मृति का उन्होंने सार्वजनिक रूप से दहन किया जो वर्ण व्यवस्था,जाति भेदभाव छुआछूत व लिंग भेद के विचार को वैचारिक रूप से न्याय संगत बनाती थी। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में नारियों के अपमान और उनके साथ अन्याय की पराकाष्ठा है। इसमें महिलाओं को जड़, मूर्ख और कपटी स्वभाव का माना गया है और शूद्रों- अति शूद्रों की भांति उन्हें अध्ययन से वंचित रखा गया और कहा गया है कि स्त्री स्वतंत्र होने के लायक नहीं है। भीमराव अंबेडकर जी ने हिंदू समाज में समानता प्राप्त करने के लिए हर तरह का संघर्ष व सत्याग्रह किये परंतु सब निरर्थक साबित हुए। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हिंदू समाज में समानता के लिए कोई स्थान नहीं और उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त छुआछूत, असमानता से दुखी होकर 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर शहर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ धर्म परिवर्तन किया और बौद्ध धम्म को ग्रहण कर लिया। इसी दिन उन्होंने हिंन्दू धर्म की मान्यताओं और पूजा पद्धतियों को त्यागने वाली 22 प्रतिज्ञाएं भी ली। उन्होंने शूद्रों- अति शूद्रों,गरीबों के दो शत्रु पूंजीवाद व ब्राह्मणवाद को बताया और कहा कि मैं हिंदू धर्म में जन्मा जरूर हूं परंतु मैं इसमें हरगिज मरूंगा नही। उन्होंने संविधान के द्वारा महिलाओं और अनुसूचित जाति जनजातियों को वे अधिकार दिए जो मनुस्मृति ने नकारे थे।


आजादी के 78 साल बाद भी देश में आज हालात यह है कि जाति धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों दलितों व महिलाओं पर हमले बढ़ रहे हैं। असमानता,गरीबी, महंगाई बढ़ती जा रही है। मोदी की यह कट्टर हिंदुत्ववादी सरकार आज सभी संस्थाओं को आर एस एस की हिन्दूत्ववादी फासीवादी विचारधारा के कब्जे में लेने में जुटी हुई है जिसका उद्देश्य है हिन्दू धर्म को ही श्रेष्ठ बताकर देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करना।अल्पसंख्यक समुदायों मुसलमानों,सिखों,इसाइयों आदि के संस्थानों व ज़मीनों पर कब्जा करके सारी संपत्तियों को शोषक पूंजीपति वर्ग के कार्पोरेट घरानों को देना है।अल्पसंख्यक समुदायों खासकर मुसलमान समुदाय के खिलाफ इन ताकतों ने इतना नफ़रतकारी माहौल बना दिया है कि उनकी जहां -तहां हत्या व मारपीट रोज की बात बन गई है। जातिवादी भेदभाव बढ़ता जा रहा है हरिओम बाल्मीकि जैसे निर्दोष युवाओं की हत्या कर दी जाती है।
मोदी सरकार द्वारा पेश की जा रही श्रम शक्ति नीति–2025 श्रम को धार्मिक आवरण देने का प्रयास करती है और मनुस्मृति जैसे अत्यंत प्रतिक्रियावादी ग्रंथों का हवाला देकर मजदूर-विरोधी संहिताओं को वैध ठहराती है। यह दृष्टिकोण भारतीय संविधान की मूल भावना के प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि यही वह मनुस्मृति है, जिसका डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने 1927 में सार्वजनिक दहन किया था। वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार मजदूर वर्ग को लगातार कमजोर कर रही है औरअसंवैधानिक कानून थौप रही है।सार्वजनिक संपत्तियों संस्थानों जैसे हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे,सड़कें दूरसंचार, बीमा, बैंक,कोयला, गैस डीजल पेट्रोल, आदि अपने चहेते एकाअधिकार पूंजीपतियों को दे रही है।अभी 2 दिनों से इंडिगो एयर लाईन कंपनी द्वारा किस तरह से अपनी मनमर्जी करके यात्रयों को बिना नोटिस के हजारों फ्लाइट कैंसिल कर दी गई जिसने यात्रियों को भारी संकट में डाल दिया। शिक्षा और स्वास्थ्य का बुरा हाल है. शिक्षा का निजीकरण व भगवाकरण किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं का ढिंढोरा पीटने के लिए करोड़ों रुपया विज्ञापनों पर खर्च करती है जबकि केंद्र व हरियाणा सरकार के तमाम महकमों में भ्रष्टाचार व्याप्त है यहां तक कि हरियाणा में मनरेगा जैसी मामूली दिहाडी के 100 दिन के काम देने में भी बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती। साफ पीने के पानी, साफ हवा, साफ सार्वजनिक शौचालय तक लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। मजदूरों के लेबर चौकों पर बुरा हाल है उनको पुलिस इधर से उधर डण्डे मार कर भगाती रहती है। आज देश में मोदी सरकार मजदूर विरोधी नीतियों, मजदूर विरोधी कॉर्पोरेट परस्त 4 लेबर कोड के द्वारा देश में मजदूरों के खिलाफ माहौल बना रही है और कारपोरेट पूंजीपत्तियों के पक्ष में संस्थाओं का यहां तक की अदालतों का माहौल भी बनाया जा रहा है जिसका ताजा उदाहरण गुड़गांव की लेबर ट्रिब्यूनल है जिसमें एक मजदूर मारुति का केस रद्द करते हुए फैसले में लिखा है कि “आज की गला काटू होड़ वाली ट्रम्पियन दुनिया में राष्ट्र निर्माण हर भारतीय का सबसे पवित्र फ़र्ज़ है… इतिहास बताता है कि वही अर्थव्यवस्थाएं आगे बढ़ी हैं जहां श्रमिकों को सख्त अनुशासन में रखा गया है… न्याय विभाग से यह अपेक्षा है कि वह गलत काम करने वाले श्रमिकों के प्रति सहानुभूति की दुहाइयों के आगे न झुके…”। जन संघर्ष मंच हरियाणा लेबर ट्रिब्यूनल गुडगांवा द्वारा निर्दोष मारुति मजदूर केस में कारपोरेट कम्पनी के पक्ष में इन मजदूर विरोधी टिप्पणीयों की बड़े शब्दों में निंदा करता है।
मंच नेता ऊषा कुमारी ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों की वजह से देश में बेतहाशा महंगाई बेरोजगारी बढ़ रही है और अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे है, आम जनता के सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश चल रही है।
आंगनवाड़ी, आशा और मिड डे मील वर्कर को समय पर नहीं मिल रहा वेतन
सरकार देश में करीब एक लाख सरकारी स्कूल बंद कर चुकी है। कोशल रोजगार निगम आदि के द्वारा सभी जगह कच्चे कर्मचारी भर्ती किये जा रहे हैं, पक्का रोजगार खत्म किया जा रहा है यानि युवाओं को हायर फायर किया जा रहा है। देश में करोड़ों महिलाएं जो आंगनवाड़ी वर्कर आशा वर्कर मिड डे मील वर्कर के तौर पर काम कर रही है उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जाता उनका जमकर शोषण किया जा रहा है। जनता की लूट से ध्यान हटाने के लिए देश में हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी सांप्रदायिक फासीवादी भाजपा व संघ परिवार जनता में सांप्रदायिक जहर घोल रहे है। और किसानों मजदूरों कर्मचारियों महिलाओं नौजवानों बेरोजगारों के आंदोलन को कुचलने के लिए भाजपा सरकार लाठी डण्डे अश्रु गैस झूठे केसों के द्वारा दमन कर रही है। महिलाओं पर यौन हिंसा, दहेज हत्या, कन्या भ्रूण हत्या, गैर बराबरी बढ़ती ही जा रही है।
मोदी सरकार में महिला सशक्तिकरण के दावे खोखले
मोदी सरकार के महिला सशक्तिकरण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।सारे देश में स्थिति बहुत ही भयावह है। यौन शोषण व कत्ल के घृणित मामलों में सजायाफ्ता उम्रकैद के अपराधी गुरमीत राम रहीम को हरियाणा सरकार बार-बार पैरोल पर जेल से बाहर ला रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और महिला सुरक्षा की मोदी की गारंटी एक खोखली गारंटी है।
उन्होंने महिलाओं, मजदूरों, छात्रों ,युवाओं.बहुजनों का आह्वान किया कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम आज सरकार के संविधान विरोधी काले कारनामों के खिलाफ चल रहे संघर्षों को भी अपना पूरा समर्थन देने के लिए बढ़-चढ़कर आगे आए और शहीद ए आजम भगत सिंह के समाजवादी समाज की स्थापना के लिए लोगों को संगठित करें और संघर्ष करें।
प्रदर्शन में मंच के साथी मीना,सुनीत कौर, वंदना,उमा,लक्ष्मण कौर,सुनीता देवी, रमा, पूजा,शकुंतला, अंजू बाला, मित्तो रानी,मंजू रानी शालू,विक्रम, सतीश, यशस्वी,गुरविंदर सिंह आदि शामिल हुए और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की इसके बाद कार्यक्रम का समापन किया गया।
