चार श्रम संहिताएं लागू करने का विरोध, वापस लेने की मांग

चार श्रम संहिताएं लागू करने का विरोध, वापस लेने की मांग

कुरुक्षेत्र में जन संघर्ष मंच, मनरेगा मजदूर यूनियन और निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन की बैठक

कुरुक्षेत्र। जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य प्रधान कामरेड फूल सिंह की अध्यक्षता में आज शहीद भगत सिंह दिशा संस्थान कुरुक्षेत्र में जन संघर्ष मंच हरियाणा, मनरेगा मजदूर यूनियन, एवं निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनाए गए मजदूर विरोधी चार नए श्रम संहिताओं एवं श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 21 नवंबर 2025 को इन्हें लागू करने हेतु जारी अधिसूचना का कड़ा विरोध किया गया तथा निन्दा की गई।

जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि 2019-20 में संसद द्वारा बिना बहस और कोरोना काल के दौर में पारित ये चार श्रम संहिताएँ (वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, एवं व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशाएँ संहिता 2020) मजदूरों के व्यापक विरोध और संघर्ष के बावजूद लागू कर दी गईं, जिनसे पुराने 29 मजदूर अधिकार कानून निरस्त कर दिए गए हैं। इन कानूनों के माध्यम से श्रमिकों की न केवल आर्थिक स्थिति कमजोर होगी, अपितु उनकी राजनीतिक लड़ाई के अधिकारों पर भी कुठाराघात हुआ है। पहले जहाँ 20 से अधिक कर्मचारियों के कार्यस्थलों पर श्रम कानून लागू होते थे, अब इसे बढ़ाकर 50 कर दिया गया है। ऐसा करके करोड़ों व्यवस्थापकों/ फैक्ट्रियों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया है। ठेकेदारों को कानूनी अधिकार दिए गए हैं जिससे मजदूर वर्ग के लिए यूनियन बनाकर व्यापक स्तर पर संघर्ष करना कठिन हो गया है। 8 घंटे के काम के दिन की सीमा समाप्त कर दी गई है और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली खत्म। कर दी गई है। यह सुनिश्चित है कि नए श्रम कानूनों के लागू होने से मजदूरों के अधिकार गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होंगे।

प्रत्येक श्रमिक के हितों की अनदेखी कर मोदी सरकार ने इन मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को लागू कर दिया है, जो कॉर्पोरेट जगत की पसंद हैं और मजदूर वर्ग को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का प्रयास हैं। अतः जन संघर्ष मंच हरियाणा, मनरेगा मजदूर यूनियन और निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन की मांग है कि चारों मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए और जारी की गई अधिसूचना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए।

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 26 नवंबर 2025 को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व मजदूर संगठनों के आह्वान पर सभी चारों श्रम संहिताओं तथा 21 नवंबर 2025 को जारी अधिसूचना के विरोध में प्रदर्शनों और साथ ही 14 दिसंबर को मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान  के अंतर्गत अखिल भारतीय मजदूर प्रतिरोध दिवस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जाएगा।

तीनों संगठनों ने प्रेस को जारी संदेश में कहा कि मजदूरों की आज़ादी व अधिकारों की रक्षा के लिए सभी को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा और ये कानून मजदूरों के लिए कोई समाधान नहीं, बल्कि उनके शोषण को बढ़ाने वाले हैं। इन मजदूर विरोधी कानूनों के खिलाफ हर स्तर पर आवाज़ उठाएंगे और मजदूरों का आर्थिक-राजनीतिक हक़ के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा।

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