दीपावली के पावन अवसर पर आओ दिए जलायें

दीपावली के पावन अवसर पर आओ दिए जलायें

मुनेश त्यागी

 

आओ दिये जलायें…

खुशी के,

दौलत के,

समृद्धि के,

स्वास्थ्य के।

 

आओ दिये जलायें…

दोस्ती के,

इंसाफ के,

मोहब्बत के,

इंसानियत के।

 

आओ दिए जलाएं…

समता के,

जनतंत्र के,

गणतंत्र के,

समानता के।

 

आओ दिये जलायें…

भाईचारे के,

इंकलाब के,

समाजवाद के,

धर्मनिरपेक्षता के।

 

आओ रोशन करें…

घनघोर अंधेरों को,

अंधेरी बस्तियों को,

नफ़रत भरे दिमागों को,

बुझा दिए गए चिरागों को।

 

आओ रोशन करें,,,,

बंद ओ कुंद दिमागों को,

असमानता के शासन को,

मार दिए गए भाईचारे को,

भुला दिए गए वादों और नारों को।

 

आओ दिए जलायें

प्यार और मोहब्बत के,

हिन्दू मुस्लिम एकता के,

खुशी और धन दौलत के,

स्वास्थ्य और भाईचारे के।

 

आओ दीए जलायें

ज्ञान और विज्ञान के,

वैज्ञानिक संस्कृति के,

मिली जुली संस्कृति के

गंगा-जमुनी तहजीब के।

 

आओ रोशन करें

अंधकार भरे दिमागों को,

नफरत से भरे हुए मिजाजों को

अंधी गलियों, गांवों और शहरों को,

हिंसा से भरे अंदाज और लहजों को।

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