कविता
क्यों किसलिए पूछिए
ओमप्रकाश तिवारी
क्यों किसलिए पूछिए
समझिए, तुम पढ़ न पाओ
इसलिए वे शिक्षा महंगी कर देंगे
सिस्टम बिगाड़-सिगाड़ तिगाड़ देंगे
तमाम तिकड़म सिकड़म लगा देंगे
शिक्षा की परिधि से बाहर कर देंगे
तुमको पढ़ाएंगे राष्ट्रवाद का पाठ
इसके लिए होगी उनकी पाठशाला
धकाधक ठेलेंगे अर्धसत्य का संदेश
कहेंगे यही सच है, इसे मानिए
बिना तथ्य तय कथ्य को बताएंगे सत्य
इस तरह बनाएंगे तुमको दंगाई
अपने वजूद के लिए उन्हें चाहिए हिंसा
इसके लिए चाहिए मासूम इंसान
इंसान से इंसान को मरवाकर
करेंगे सिंहनाद और विजयघोष
आपकी पीड़ा-दर्द से उन्हें नहीं कोई लेनादेना
वे आपके घर जाकर आंसू नहीं पोछने वाले
अपने घर बुलाकर बहाएंगे घड़ियाली आंसू
करेंगे वही जो उनके वजूद के लिए फिट होगा
वे जानते हैं पढ़ लिखकर लोग मांगते हैं रोजगार
नौकरी पेशा इंसान जीना चाहता है शांति से
उसे नहीं सुनना तेज फूहड़ धुन पर फूहड़ गाना
काम के बाद उसे चाहिए दो पल का सुकून
उसे देखनी है मासूम की मुस्कान
सुननी है तोतली मधुर जुबान
मगर उन्हें यही तो नहीं पसंद है
उन्हें चाहिए हिंसा और उसके लिए दंगाई
शिक्षा, ज्ञान और तर्क से है उन्हें नफरत
अपनी ही तरह वे बनाना चाहते हैं पूरा समाज
लेकिन उस समाज में खुद नहीं रहना चाहते
रहते भी नहीं हैं
उनका तो अपना ही है एक लोक
जिसे बताते हैं परलोक
यहीं तुमको भेजना चाहते हैं
अनपढ़ और दंगाई बनाकर
पढ़ो और पढ़ाई का हक मांगो
रोजगार और शांति मांगो
बहकिए नहीं महकिये
क्यों किसलिए पूछिए
रात दिन क्यों होते हैं?
इसको जानिए और समझिए।